चित्र साभार गूगल |
एक ग़ज़ल-
चटख मौसम,किताबें,फूल
चटख मौसम,किताबें,फूल,कुछ किस्सा,कहानी है
मोहब्बत भी किसी बहते हुए दरिया का पानी है
नहीं सुनती ,नहीं कुछ बोलती ये चाँदनी गूँगी
मगर जूड़े में बैठी गूँथकर ये रात रानी है
सफ़र में थक के मैं पीपल के नीचे लेट जाता हूँ
दिए कि लौ में अब भी गाँव की संध्या सुहानी है
ये संगम है यहाँ रेती,हवन,नावें,परिंदे हैं
कमण्डल में कहीं गंगा,कहीं यमुना का पानी है
भले गोमुख से निकली है मगर देवों की थाती है
भगीरथ की तपस्या की ये गंगा माँ निशानी है
हमारे देश की मिट्टी में चन्दन और केसर है
कहीं अमरूद का मौसम कहीं लीची,खुबानी है
ज़रूरत है नहीं हमको शहर के ताज़महलों की
हमारे गाँव में उत्सव,तितलियाँ, मेड़ धानी है
कवि/शायर जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (05-01-2022) को चर्चा मंच "नसीहत कचोटती है" (चर्चा अंक-4300) पर भी होगी!
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार आपका आदरणीय ।सादर अभिवादन
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 5 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्
आपका हृदय से आभार।सादर अभिवादन
Deleteउत्कृष्ट रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन
Deleteवाह! वाकई मुहब्वत किसी दरिया का बहता हुआ पानी है। बहुत सुंदर। आभार और बधाई!!!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन
Deleteवाह, बहुत खूब!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन आपका
Deleteवाह बहुत ही खूबसूरत😍
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका मनीषा जी।सादर अभिवादन
Deleteचटख मौसम,किताबें,फूल,कुछ किस्सा,कहानी है
ReplyDeleteमोहब्बत भी किसी बहते हुए दरिया का पानी है
हरेक शेर एक कहानी कहता हुआ | बहुत सरस रचना है तुषार जी | हार्दिक शुभकामनाएं|
बहुत बहुत आभार आपका ।सादर अभिवादन रेणु जी।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी एक रचना शुक्रवार ७ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
नववर्ष मंगलमय हो।
आपका हृदय से आभार
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