Friday, 9 February 2024

एक ग़ज़ल -तबीयत से यहाँ गंगा नहाकर देखिए साहब

संगम शाही स्नान चित्र साभार गूगल 


आज मौनी अमावस्या का पावन स्नान पर्व है सभी कल्पवासियों, स्नानर्थियों को शुभकामनायें.माँ गंगा, यमुना, सरस्वती सबका कल्याण करें.


एक पुरानी ग़ज़ल


फक़ीरों की तरह धूनी रमाकर देखिए साहब

तबीयत से यहाँ गंगा नहाकर देखिए साहब


यहाँ पर जो सुंकू है वो कहाँ है भव्य महलों में

ये संगम है यहाँ तम्बू लगाकर देखिए साहब


हथेली पर उतर आयेंगे ये संगम की लहरों से

मोहब्बत से परिंदो को बुलाकर देखिए साहब


ये गंगा फिर बहेगी तोड़कर मजबूत चट्टानें

जो कचरा आपने फेंका हटाकर देखिए साहब


कवि /शायर

जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल 


6 comments:

  1. धूनी रमाकर होना चाहिए शायद | सुन्दर |

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार. टायपिंग त्रुटि की तरफ़ ध्यान दिलाने के लिए. ध्यान नहीं गया. सुधार दिए

      Delete
  2. Replies
    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

      Delete
  3. प्रणाम सर, आपकी लेखनी प्रणम्य है, बहुत ही अच्छा लिखते हैं आप

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

एक देशगान -कितना सुन्दर कितना प्यारा देश हमारा है

  लाल किला -चित्र गूगल से साभार  चित्र साभार गूगल एक देशगान  -कितना सुन्दर, कितना प्यारा  देश हमारा है  कितना सुंदर  कितना प्यारा  देश हमारा...