चित्र साभार गूगल |
एक गीत -इस चिड़िया के उड़ जाने पर
इस चिड़िया के
उड़ जाने पर
जंगल कुछ दिन मौन रहेगा.
धूप -छाँह, बारिश
मौसम के
इतने किस्से कौन कहेगा.
दरपन -दरपन
चोंच मारती
ढके हुए परदे उघारकर,
सूर्योदय से
प्रमुदित होकर
हमें जगाती है पुकारकर,
धूल भरी आँधी में
टहनी टहनी
उड़कर कौन दहेगा.
इसी नदी में
हँसकर -धंसकर
हमने उसे नहाते देखा,
आँख मूँदकर
मंत्र बोलकर
घी का दिया जलाते देखा,
खुले हुए
जूड़े से गिरकर कब
तक जल में फूल बहेगा.
हिरण भागते
मोर नाचते
वन का है चलचित्र सुहाना,
पथिकों से मत
मोह लगाना
जीवन यात्रा आना -जाना,
प्यार तुम्हारे
हिस्से में था
बिछुड़न प्यारे कौन सहेगा.
कवि गीतकार
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 26 फरवरी 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन
Deleteवाह
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय जोशी जी सादर अभिवादन
Deleteसुंदर सृजन
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया अनीता जी
Deleteलाज़वाब, बेहद भावपूर्ण गीत सर।
ReplyDeleteसादर।
श्वेता जी आपका हृदय से आभार. सादर अभिवादन
Deleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार भाई हरीश जी. सादर अभिवादन
Deleteअद्भुद नवगीत हुआ आदरणीय
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन
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