चित्र साभार गूगल |
एक गीत -मन की खुशबू कहाँ पुरानी होती है
मन की
खुशबू कहाँ
पुरानी होती है.
चित्रों की
भी प्रेम -
कहानी होती है.
फूल नहीं
देखा
खुशबू पहचान गया,
भौँरा
जंगल, बस्ती
सबको जान गया,
फागुन की
हर शाम
सुहानी होती है.
वंशी की
आवाज़
नदी की लहरों में,
अक्सर
चाँद रहा
मेघोँ के पहरों में,
आँखों की
भी बोली
बानी होती है.
पहली-
पहली भेंट
युगों के किस्से हैं '
धूप -छाँह
सुख दुःख
जीवन के हिस्से हैं,
किस्मत वाली
बिटिया
रानी होती है.
कवि /गीतकार
जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
सुन्दर कृति
ReplyDeleteआभार भाई
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 04 फरवरी 2024 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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हार्दिक आभार आपका
Deleteसुन्दर सृजन
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteवाह
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
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