प्रभु श्रीराम अयोध्या |
एक ग़ज़ल -
राष्ट्र धर्म फ़रवरी अंक में प्रकाशित |
दौलत, शोहरत, ओहदा सब बेकार गया
जिसकी किस्मत वही राम दरबार गया
इफ़्तारी में शामिल हिन्दू घर बैठे
राम के दर पर असली रोज़ेदार गया
ईश्वर कैसे मिलता जीवन यात्रा में
सैलानी बनकर बद्री -केदार गया
रामलला की मूर्ति मनोहर, अप्रतिम है
इसे देखने प्रभु का हर अवतार गया
धर्म, राष्ट्र को किया प्रतिष्ठित सम्मानित
जिस नगरी में अपना चौकीदार गया
रामकाज में जो शहीद हैं कोटि नमन
उन्हें निमंत्रण बिना तार उस पार गया
सरयू के तट पर हर मत हर फिरक़ा था
कुछ लोगों के नफ़रत का बाज़ार गया
कवि /शायर
जयकृष्ण राय तुषार
अयोध्या प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा |
इफ़्तारी में शामिल हिन्दू घर बैठे
ReplyDeleteराम के दर पर असली रोज़ेदार गया
बहुत खूब, क्या बात कही आपने, एक एक शेर लाजबाव सादर नमस्कार 🙏
हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन
Deleteभक्ति भाव से ओतप्रोत सुन्दर सृजन । जय श्री राम 🙏
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार. जय सियाराम
Deleteसुंदर सृजन
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
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