Monday 14 June 2021

एक मौसमी गीत-होठों पे गीत लिए रोपेंगे धान

चित्र साभार गूगल


एक गीत-

होठों पे 

गीत लिए

रोपेंगे धान ।

धानों के

साथ

हरे होंगे ये पान ।


फूलों पर

खुश होगी

तितली की रानी,

रिमझिम

बरसो बादल

खेतों में पानी ,

चुप्पी को

तोड़ेंगे

हँसकर दालान ।


देखूँगा

बेला के फूल

नहीं तोडूंगा,

खिले-खिले

गुड़हल की

शाख नहीं छोड़ूँगा,

झुमके को

ढूँढेंगे

इधर-उधर कान ।


तेज धार

पानी में

हाँफती मछलियाँ,

पलछिन बदले

मौसम

कौंधतीं बिजलियाँ,

सबकी

अपनी वंशी

राग और तान ।


कवि-जयकृष्ण राय तुषार



4 comments:

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

स्मृतिशेष माहेश्वर तिवारी के लिए

  स्मृतिशेष माहेश्वर तिवारी  हिंदी गीत /नवगीत की सबसे मधुर वंशी अब  सुनने को नहीं मिलेगी. भवानी प्रसाद मिश्र से लेकर नई पीढ़ी के साथ काव्य पा...