चित्र साभार गूगल |
एक गीत-
होठों पे
गीत लिए
रोपेंगे धान ।
धानों के
साथ
हरे होंगे ये पान ।
फूलों पर
खुश होगी
तितली की रानी,
रिमझिम
बरसो बादल
खेतों में पानी ,
चुप्पी को
तोड़ेंगे
हँसकर दालान ।
देखूँगा
बेला के फूल
नहीं तोडूंगा,
खिले-खिले
गुड़हल की
शाख नहीं छोड़ूँगा,
झुमके को
ढूँढेंगे
इधर-उधर कान ।
तेज धार
पानी में
हाँफती मछलियाँ,
पलछिन बदले
मौसम
कौंधतीं बिजलियाँ,
सबकी
अपनी वंशी
राग और तान ।
कवि-जयकृष्ण राय तुषार
बहुत ही सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका सर
Deleteखूबसूरत गीत ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
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