Friday, 18 June 2021

एक गीत आस्था का-असुरों की आँखों में चुभते हैं राम

 


आस्था का गीत


असुरों की

आँखों में

चुभते हैं राम ।

सरयू तो

पावन है

एक दिव्य धाम ।


त्रेता में

राम मिले

और मिली सीता,

द्वापर में

कृष्ण दिए

कालजयी गीता,

सत्य और

सनातन है 

जो उसे प्रणाम ।


अनगिन

सूरज-तारे

जिससे पाते प्रकाश,

बाल्मीकि

तुलसी के

हो जाते वही दास,

स्वर्णपुरी

लंका से

उनको क्या काम ।


भक्ति,ज्ञान

धर्म,कर्म

जिनके अनुयायी हैं,

राम तो

सभी के हैं

हर पल सुखदायी हैं ,

निर्गुण और

सगुण सभी

जपते हैं राम ।


मातृभक्ति

पितृ भक्ति

गुरुकुल का गर्व राम,

वनवासी

योगी और

संस्कृति का पर्व राम,

काठ की

खड़ाऊँ में

बसे चार धाम ।


कवि-जयकृष्ण राय तुषार



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