आस्था का गीत
असुरों की
आँखों में
चुभते हैं राम ।
सरयू तो
पावन है
एक दिव्य धाम ।
त्रेता में
राम मिले
और मिली सीता,
द्वापर में
कृष्ण दिए
कालजयी गीता,
सत्य और
सनातन है
जो उसे प्रणाम ।
अनगिन
सूरज-तारे
जिससे पाते प्रकाश,
बाल्मीकि
तुलसी के
हो जाते वही दास,
स्वर्णपुरी
लंका से
उनको क्या काम ।
भक्ति,ज्ञान
धर्म,कर्म
जिनके अनुयायी हैं,
राम तो
सभी के हैं
हर पल सुखदायी हैं ,
निर्गुण और
सगुण सभी
जपते हैं राम ।
मातृभक्ति
पितृ भक्ति
गुरुकुल का गर्व राम,
वनवासी
योगी और
संस्कृति का पर्व राम,
काठ की
खड़ाऊँ में
बसे चार धाम ।
कवि-जयकृष्ण राय तुषार
बहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
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