संगम प्रयागराज |
प्रयागराज में रसूलाबाद जहाँ श्मशान के लिए जाना जाता है, वहीं साहित्यकार संसद भी महादेवी वर्मा जी ने स्थापित किया था, जिसकी वह ट्रस्टी भी रहीं |निराला की कविता बाधों न नाव इस ठाँव बन्धु यहीं रची गयी |उमाकान्त मालवीय, इलाचंद जोशी,मैथिलीशरण गुप्त ,सियारामशरण गुप्त ,डॉ धर्मवीर भारती ,कमलेश्वर ,रवीन्द्र कालिया ,सतीश जमाली ,अमरनाथ श्रीवास्तव का यहाँ से नाता या जुड़ाव रहा है |आज भी भाई यश मालवीय आत्मीयता से यहाँ मिलते हैं और पिता की शानदार विरासत सम्हाले हुए हैं | एक स्त्री होते हुए महराजिन बुआ दाह संस्कार कराकर विश्व प्रसिद्द हो गयीं | महान आज़ादी के नायक चंद्रशेखर आज़ाद का नश्वर शरीर भी यहीं गंगा की लहरों में समा गया था | लोकप्रिय कवि एवं समीक्षक आदरणीय भाई ओम निश्चल जी से मेरी प्रथम मुलाकात इसी रसूलाबाद में यश मालवीय जी के यहाँ हुई थी |
एक गीत -हर लहर पर मोक्ष लिखता है रसूलाबाद
हर लहर पर
मोक्ष
लिखता है रसूलाबाद |
मौन से
बस मौन का
होता यहाँ संवाद |
कुछ कथाएं ,
गीत के स्वर ,
धार में बहते ,
राख ओढ़े
जिल्द में
कुछ संस्मरण रहते ,
सभी मौसम
बाँटते
हर दिन यहाँ अवसाद |
सुबह पुल भी
देखता है
नाव पर सूरज ,
कभी
महराजिन बुआ
थी यहाँ का अचरज ,
अदब के
सिर पर
मुकुट सा है इलाहाबाद |
यहीं से
कुछ दूर नदियों
के मिलन के गीत ,
समय
साधो सुने पल -
पल भक्ति के संगीत ,
कुम्भ है
इस नगर का
प्राचीनतम आह्लाद |
चित्र -साभार गूगल |
ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (6-04-2019) को " नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं " (चर्चा अंक-3297) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
अनीता सैनी
बहुत बढ़िया
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