चित्र -साभार गूगल |
एक विक्षोभ से उपजा गीत-जागो मतदाता भारत के
फिर एक
महाभारत होगा
दुर्योधन खुलकर बोल रहा ।
द्रौपदी हो
गयी अपमानित
कौरव सिंहासन डोल रहा ।
महाभारत होगा
दुर्योधन खुलकर बोल रहा ।
द्रौपदी हो
गयी अपमानित
कौरव सिंहासन डोल रहा ।
संसद में
कचरा मत फेंको
इतिहास तुम्हें गाली देगा,
अच्छे फूलों की
खुशबू तो
अच्छा उपवन, माली देगा,
जागो मतदाता
भारत के
यह वक्त तुम्हें ही तोल रहा ।
कचरा मत फेंको
इतिहास तुम्हें गाली देगा,
अच्छे फूलों की
खुशबू तो
अच्छा उपवन, माली देगा,
जागो मतदाता
भारत के
यह वक्त तुम्हें ही तोल रहा ।
भाषा-बोली
आचरण हीन,
प्रतिनिधि कैसे बन जाते हैं,
मत राष्ट्रगीत
की बात करो
ये राष्ट्रगान कब गाते हैं ?
इस राजनीति
के गिरने में
बस वोट बैंक का रोल रहा ।
तमगे
लौटाने वाले चुप
नारीवादी ख़ामोश रहे ,
कुछ अमृत पी
कुछ मदिरा पी
दरबारों में मदहोश रहे ,
हंसो के
मानसरोवर में
कोई तो है विष घोल रहा |
आचरण हीन,
प्रतिनिधि कैसे बन जाते हैं,
मत राष्ट्रगीत
की बात करो
ये राष्ट्रगान कब गाते हैं ?
इस राजनीति
के गिरने में
बस वोट बैंक का रोल रहा ।
तमगे
लौटाने वाले चुप
नारीवादी ख़ामोश रहे ,
कुछ अमृत पी
कुछ मदिरा पी
दरबारों में मदहोश रहे ,
हंसो के
मानसरोवर में
कोई तो है विष घोल रहा |
यह मौन
तुम्हारा सुनो भीष्म
सर शैय्या पर लज्जित होगा,
हे द्रोण ! कृपा !
अश्वस्थामा !
तू भी कल अभिशापित होगा,
गांधारी
पट्टी बांधे है
धृतराष्ट्र मुखौटा खोल रहा ।
तुम्हारा सुनो भीष्म
सर शैय्या पर लज्जित होगा,
हे द्रोण ! कृपा !
अश्वस्थामा !
तू भी कल अभिशापित होगा,
गांधारी
पट्टी बांधे है
धृतराष्ट्र मुखौटा खोल रहा ।
बहुत सुन्दर ... व्यंगात्मक गीत बहुत कुछ कह रहा है आज की राजनीति पर ...
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ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना 17अप्रैल 2019 के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
भाई दिगम्बर नसवा जी सुश्री पम्मी जी आप दोनों का हृदय से आभार
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 16/04/2019 की बुलेटिन, " सभी ठग हैं - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब.....
ReplyDeleteसमसामयिक सटीक एवं सार्थक....
वाह!!!
अति उत्तम । लगा कक्षा-कक्ष में हूँ और स्व. श्री मैथिलीशरण गुप्त या दिन्कर जी को पढ़ रही हूँ ।
ReplyDeleteआदरणीय मीना जी आपने मुझे बहुत बड़ी उपाधि दे दिया | कहाँ दिनकर ,राष्ट्रकवि गुप्त जी और कहाँ मैं और मेरी छोटी सी कोशिश |आपका हार्दिक आभार
Deleteआप सभी शुभ चिंतकों का हार्दिक आभार
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