चित्र -गूगल से साभार |
किताबों में नहीं लिक्खा है ये सच है अभी देखो
किसी बच्चे को इक टॉफी थमा दो फिर हँसी देखो
अगर रंजिश भी है तो फैसले करिए मोहब्बत से
किसी मजदूर के गुस्से में उसकी बेबसी देखो
रसोईघर के चूल्हों को बुझा देने की है साजिश
हुकूमत की मोहब्बत और हमसे आशिकी देखो
समन्दर को बड़ा कहते हैं सब ,पर मैं नहीं कहता
कई दरिया का जल पीता है उसकी तिश्नगी देखो
मुखालिफ़ मौसमों में ये धुँआ ,कालिख नहीं देखो
अँधेरे में मशालों में है कितनी रौशनी देखो
वो इक बूढ़ा जिसे बच्चे अकेला छोड़ देते हैं
सफ़र में जब कभी गिरता उठाते अजनबी देखो
किसी चश्में से मैं देखूँ हमेशा वो नज़र आये
मेरी गज़लों से उसके हुस्न की बाबस्तगी देखो
शहर का फूल है खुशबू भी उसकी गर्द ओढ़े है
मेरी बस्ती के फूलों में हमेशा ताज़गी देखो
मेरी बस्ती के फूलों में हमेशा ताज़गी देखो
समन्दर को सभी कहते बड़ा ,पर मैं नहीं कहता
ReplyDeleteकई दरिया का जल पीता है उसकी तिश्नगी देखो ।
कहाँ टौफ़ी से शुरू कर गज़ल को कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया .... बहुत खूबसूरत
सच है..
ReplyDeleteआदरणीय संगीता जी भाई प्रवीण पाण्डेय जी आप सभी का आभार निरन्तर हमारा उत्साहवर्धन करते रहने के कारण |
ReplyDeleteसमन्दर को सभी कहते बड़ा ,पर मैं नहीं कहता
ReplyDeleteकई दरिया का जल पीता है उसकी तिश्नगी देखो
...बहुत खूब! हरेक शेर दिल को छू गया..बेहतरीन गज़ल..
समन्दर को सभी कहते बड़ा ,पर मैं नहीं कहता
ReplyDeleteकई दरिया का जल पीता है उसकी तिश्नगी देखो
......इसके लिए "बेहतरीन" भी कम लग रहा है !
दिल में सकारात्मक उद्गारों को भरती एक सुन्दर रचना के लिए आभार!
ReplyDeleteआस-पास की बिखरी चीज़ों को बिम्बों में क़ैद कर आपने एक बेहतरीन ग़ज़ल पेश किया है, जो काफ़ी देर तक मन पर राज करने वाली है।
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ReplyDeleteवो इक बूढ़ा जिसे बच्चे अकेला छोड़ देते हैं
सफ़र में जब कभी गिरता उठाते अजनबी देखो
मार्मिक
सभी शेर एक से बढ़कर एक
आदरणीय कैलाश शर्मा जी ,वंदना जी भाई मनोज जी
ReplyDeleteनिवेदिता जी और शालिनी जी आप सभी का आभार
अगर रंजिश भी है तो फैसले करिए मोहब्बत से
ReplyDeleteकिसी मजदूर के गुस्से में उसकी बेबसी देखो
bhai Tushar ji tareef ke liye shabd km pd gye .....kya kru ...??? sadar abhar.
रसोईघर के चूल्हों को बुझा देने की है साजिश
ReplyDeleteहुकूमत की मोहब्बत और हमसे आशिकी देखो
वक्त की नब्ज टटोलती अच्छी गजल।
अच्छी गजल के लिए बधाई स्वीकारे .
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल... खासकर आखिरी शेर तो सवा शेर है...
ReplyDeleteआप सभी का हार्दिक आभार |
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