Saturday 1 September 2012

एक गज़ल -ये बात और है ये धूप मुझसे हार गई

चित्र -गूगल से साभार 
ये बात और है ये धूप मुझसे हार गई 
जबान होते हुए भी जो बेजुबान रहे 
हमारे मुल्क में ऐसे ही हुक्मरान रहे 

जो मीठी झील में मछली पकड़ना सीख गए 
परों के रहते परिन्दे वो बे -उड़ान रहे 

ये बात और है ये धूप मुझसे हार गई 
मगर दरख़्त कहाँ मेरे सायबान रहे 

महल हैं उनके जिन्हें नींव का पता ही नहीं 
मकां बनाया जिन्होंने वो बे -मकान रहे 

मैं फेल होने के डर से हयात पढ़ता रहा 
मेरे सफ़र में हमेशा ही इम्तिहान रहे 

पतंगें रख के उड़ाना ही उनको भूल गया 
मेरे शहर में धुंए वाले आसमान रहे 

वो इक शिकारी था छिपकर शिकार करता रहा 
शरीक- ए- ज़ुर्म थे हम भी कि इक मचान रहे  

कुतुबमीनार पे चढ़कर वो हमको भूल गए 
हम उनके वास्ते सीढ़ी के पायदान रहे 

हमारे सिर पे जरूरत का बोझ था इतना 
बुजुर्ग देह के भीतर भी  नौजवान रहे 

हम अपनी जंग सरहदों पे कभी हारे नहीं 
घरों की जंग में अक्सर लहूलुहान रहे 
चित्र -गूगल से साभार 

14 comments:

  1. एक से बढ़ कर एक शेर वाह वाह वाह वाह वाह ...

    भाई जी ,बहुत खूबसूरत बन पडी है मुकम्मल ग़ज़ल ही ..आपकी लेखनी में बला की खूबसूरती है !

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  2. बेहद शानदार गज़ल... हरेक शेर अपनाप में नायब है .... पहली बार आपको पढ़ा ...और एक बार में ही आपकी लेखनी के मुरीद हो गए.

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  3. वाह....
    बेहतरीन गज़ल...
    पतंगें रख के उड़ाना ही उनको भूल गया
    मेरे शहर में धुंए वाले आसमान रहे ..
    लाजवाब शेर..

    सादर
    अनु

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  4. बहुत ही सुन्दर और प्रभावी अभिव्यक्ति..

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  5. पहला ही शेर ज़बरदस्त ... तीखा प्रहार हुक्मरानों पर ... बहुत सुंदर गज़ल

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  6. वाह.... बेहतरीन पंक्तियाँ ....

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  7. हम अपनी जंग सरहदों पे कभी हारे नहीं
    घरों की जंग में अक्सर लहूलुहान रहे
    lajavab mantmugdh hoon itne gahre bhav ki kya kahun
    rachana

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  8. आप सभी का बहुत -बहुत आभार |आपकी तारीफ़ से हमारा मनोबल बढ़ता है |फिर हम कुछ और नया कहने या रचने की कोशिश करते हैं |

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  9. बढ़िया ग़ज़ल है.सभी शेर लाजवाब.

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  10. बहुत बढ़िया...
    बेहतरीन गजल...
    :-)

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  11. ज़िन्दगी के बीच से आपने भावनाओं के कई रूप समेट-सहेज कर नायाब शे’र पिरो लाए हैं। मुझे यह शे’र बड़ा मन को छुने वाला लगा --
    कुतुबमीनार पे चढ़कर वो हमको भूल गए
    हम उनके वास्ते सीढ़ी के पायदान रहे

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  12. खूबसूरत ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकारें

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  13. एक और बेहतरीन गज़ल। ऐसा कम ही हो पाता है कि गज़ल का हर शेर पढ़कर दिल बाग-बाग हो जाय।..बहुत बधाई।

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  14. आप सभी का बहुत -बहुत शुक्रिया |

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