स्मृतिशेष माहेश्वर तिवारी |
हिंदी गीत /नवगीत की सबसे मधुर वंशी अब सुनने को नहीं मिलेगी. भवानी प्रसाद मिश्र से लेकर नई पीढ़ी के साथ काव्य पाठ करने वाले महान गीत कवि यश भारती सम्मान प्राप्त माहेश्वर तिवारी को विनम्र श्रद्धांजलि
गीतों की
सधी हुई बांसुरी
डूब गयी नदिया की धार में.
कौन सुबह
हँसकर के जल देगा
द्वार खिले फूल हरसिंगार में.
गंगा, जमुना,
सरयू, नर्मदा
सतुपड़ा, हिमालय नवगीत का,
छंद का हितैषी
यायावर
गीत लिखा मन के जगजीत का.
गीतों की
गन्ध रहे बाँटते
रेत, नदी, धूप में कछार में.
हँस दे
तो हँसे आसमान
सारा घर आँगन, दालान,
सुधियों में था
प्रयागराज
गीतों में हरे धान -पान,
दूर किए
सभी की उदासी
बीते दिन छंद के श्रृंगार में.
कवि जयकृष्ण राय तुषार
घर पर एक कवि गोष्ठी में |
कवि जयकृष्ण राय तुषार
नमन,श्रद्धासुमन अर्पित है।
ReplyDeleteएक कवि की काव्यांजलि से बेहतर अंतिम प्रणाम
और क्या हो सकता है।
सादर
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार २३ अप्रैल २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
हार्दिक आभार आदरणीया श्वेता जी
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteसादर अभिवादन
Deleteअति सुंदर सृजन, महान कवि को समर्पित अनमोल श्रद्धांजलि !
ReplyDeleteआभार. सादर अभिवादन
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार. सादर अभिवादन
Deleteबहुत सुन्दर. श्रद्धांजलि.
ReplyDeleteहार्दिक आभार. सादर अभिवादन
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