Wednesday, 11 October 2023

एक गीत -सबका स्वागत करती है बस्ती बंजारों की

चित्र साभार गूगल 


एक ताज़ा गीत -

सबका स्वागत करती है बस्ती बंज़ारों की


फूल महकते

पर्वत -घाटी

चाँद -सितारों की.

सबका

स्वागत करती है 

बस्ती बंज़ारों की.


धूप -छाँह के

किस्से सुनती 

और सुनाती है,

जीवन के

रंगों से यह

खुलकर बतियाती है,

यह बस्ती है

वंशी- मादल के

फ़नकारों की.



कौतुक-कला 

लिए चलती

यह मुश्किल राहों में,

सुख दुःख

साध के रखती

अपनी लम्बी बाहों में,

यह साक्षी है

बाल्मीकि के

नव उदगारों की.


बंज़ारों के 

साथ -साथ 

हर मौसम गाता है,

सामवेद के

पंचम सुर का

यह उदगाता है,

जलधारों में

बहती 

चिंता नहीं किनारों की.


जादू -टोना

जैसे इनके 

पथ -चौरस्ते हैं,

सबका बोझ

उठाकर चलते

कितने सस्ते हैं,

दिल के

फ्रेमों में रखती

तस्वीरें यारों की.

कवि /गीतकार

जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल 


12 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  2. बहुत ही सुंदर कविता है यह तुषार जी। ऐसी कविता जिसे बार-बार पढ़ने को जी चाहे।

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    Replies
    1. इतनी सुन्दर टिप्पणी और आत्मीयता के लिए हृदय से आभार. सादर अभिवादन भाई साहब

      Delete
  3. दुनिया अलग-अलग तरह की संस्कृतियों से समृद्ध है।
    बेहद सुंदर गीत है सर।
    सादर
    -------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना गुरुवार १२ अक्टूबर२०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका हृदय से आभार श्वेता जी

      Delete
  4. बहुत ही सुन्दर सार्थक और हृदय स्पर्शी रचना

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    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन

      Delete
  5. बहुत सुंदर पंक्तियाँ 🙏

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