जंगल तबाह करके शहर मत बनाइये
लौटेंगे शाम होते ही पंछी उड़ान से
इन घोंसलों को फूँक के घर मत बनाइये
ताज़ा हवा ,ये फूल ,ये खुशबू न छीनिए
मुश्किल हमारा और सफ़र मत बनाइये
ईजाद यूँ तो नस्लें नई कीजिये मगर
बौना हो जिसका कद वो शज़र मत बनाइये
पत्थर में भी हुनर है तो तारीफ़ कीजिये
जेहनों को इतना तंग नज़र मत बनाइये
बस्ती ये पुर सुकून है दिल्ली में ही रहें
अपना निवास आप इधर मत बनाइये
काला धुआं है सिर्फ़ तरक्की के नाम पर
वातावरण को आप ज़हर मत बनाइये
इनका तो काम प्यास बुझाना है दोस्तों
नदियों के दरमियान गटर मत बनाइये
ख़बरों की असलियत का पता कुछ हमें भी है
शोहरत के वास्ते ही ख़बर मत बनाइये
नदियों के दरमियान गटर मत बनाइये
ख़बरों की असलियत का पता कुछ हमें भी है
शोहरत के वास्ते ही ख़बर मत बनाइये
चित्र -गूगल से साभार |
वाह...
ReplyDeleteलौटेंगे शाम होते ही पंछी उड़ान से
उनके लिए भी आप कहीं घर बनाइये
बेहद खूबसूरत और अर्थपूर्ण गज़ल...
सादर
अनु
ReplyDeleteपूरी गज़ल अच्छी है। मीडिया को समर्पित यह शेर काबिले तारीफ है...
ख़बरों की असलियत का पता कुछ हमें भी है
शोहरत के वास्ते ही ख़बर मत बनाइये ।
औरों का भी ख्याल हो हमें।
ReplyDeleteकाला धुआं है सिर्फ़ तरक्की के नाम पर
ReplyDeleteवातावरण को आप ज़हर मत बनाइये
सही कहा आपने। तरक्की और पर्यावरण में संतुलन तो बेहद जरूरी है।
काला धुआं है सिर्फ़ तरक्की के नाम पर
ReplyDeleteवातावरण को आप ज़हर मत बनाइये
सभी पंक्तियाँ विचारणीय...... हमने ने तो मनमुताबिक करने की ठान रखी है, परिणाम सामने हैं....
bahut khoob tushar ji abhut din ke baad ek achchhi ghazal padhne ko mili
ReplyDeletebahut khoob
badhai
खूबसूरत, अर्थपूर्ण गज़ल...
ReplyDeleteकाला धुआं है सिर्फ़ तरक्की के नाम पर
ReplyDeleteवातावरण को आप ज़हर मत बनाइये
सार्थकता लिए सटीक प्रस्तुति।
लौटेंगे शाम होते ही पंछी उड़ान से
ReplyDeleteइन घोंसलों को फूँक के घर मत बनाइये ..
वाह ... इतना कमाल का शेर ... छिपा सन्देश और बेबाक बात ... मज़ा आ गया पूरी गज़ल का ...
पत्थर में भी हुनर है तो तारीफ़ कीजिये
ReplyDeleteजेहनों को इतना तंग नज़र मत बनाइये
वाह!
बहुत अच्छे ग़ज़ल
ईजाद यूँ तो नस्लें नई कीजिये मगर
ReplyDeleteबौना हो जिसका कद वो शज़र मत बनाइये
बहुत खूब! सार्थक संदेश देती बहुत सुन्दर गज़ल..
पत्थर में भी हुनर है तो तारीफ़ कीजिये
ReplyDeleteजेहनों को इतना तंग नज़र मत बनाइये
ग़ज़ल का हर शे’र मन मोहता है और अनायास ही मुंह से वाह-वाह निकलता है।
शोहरत के वास्ते ही ख़बर मत बनाइये ...
ReplyDeleteग़ज़ल के तो आप हिन्दी ब्लागरी की बादशाहियत की ओर बढ़ चले हैं तुषार भाई !
ईजाद यूँ तो नस्लें नई कीजिये मगर
ReplyDeleteबौना हो जिसका कद वो शजर मत बनाइये
जबरदस्त शेर।
लाजवाब गजल।
आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 29/08/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteइनका तो काम प्यास बुझाना है दोस्तों
ReplyDeleteनदियों के दरमियान गटर मत बनाइये
Awesome !
.
पत्थर में भी हुनर है तो तारीफ़ कीजिये
ReplyDeleteजेहनों को इतना तंग नज़र मत बनाइये
sundar, aabhar
बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
sundar sandesh detee gajal , badhayi
ReplyDeleteआप सभी का इस गज़ल को पसंद करने हेतु बहुत -बहुत आभार |
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