Sunday, 22 October 2023

एक गीत -मौसम के रंग सभी हो गए मलिन

चित्र साभार गूगल 


एक गीत 

मौसम के रंग सभी हो गए मलिन


भूल गए
वन, पठार, पगडण्डी, रस्ते.
याद नहीं
राम राम, पैलगी, नमस्ते.

पाँव में
महावर के
रंग सभी छूटे,
उपवन में
तितली के
पँख नहीं टूटे,
बच्चों की टोली को
देखा क्या हँसते ?

निर्मल सी
नदियों में
शहरों के नाले,
यज्ञ, हवन
मंत्र बिना
मौन हैं शिवाले,
गाँवों की सुधियों 
में महानगर बसते.

झील -ताल
हंसों के
अब कहाँ सुदिन,
मौसम के
रंग सभी
हो गए मलिन,
मेघों के आसमान 
जल  बिना तरसते.

आओ फिर
दरपन में
देख देख माँग भरें,
इठलाती
लहरों पर
धुले हुए पाँव धरें,
मेंजों पर इत्र लगे
रख दें गुलदस्ते.

गीतकवि -जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल 



10 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 23 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. बहुत सुन्दर कृति ।

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  3. बहुत सुंदर

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