Saturday, 11 March 2023

एक गीत -भूले बिसरे लोग सफ़र में


चित्र साभार गूगल 



दो रंगो के फूल शाख पर

भूले बिसरे
लोग मोड़ पर
मिलते कभी -कभी.
दो अनजाने 
साथ सफ़र में
चलते कभी -कभी.

सपनों के
भी रंग
गुलाबी, पीले, काही से,
अच्छे मौसम
को लिखना
खुशबू की स्याही से,
दो रंगों के 
फूल डाल पर
खिलते कभी -कभी.

सुंदर पंखो
वाली चिड़िया
लौटी बरसों बाद,
उसे देखकर 
गीत पुराना
आया फिर से याद,
आँचल के
साये में दीपक
जलते कभी -कभी.

यात्राओं में भी
हम कितने
रिश्ते बुनते हैँ
राग पहाड़ी
में खो जाते
वंशी सुनते हैँ,
बिना हवाओं
के भी पत्ते
हिलते कभी -कभी.

कवि -जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल 

6 comments:

  1. सुन्दर गीत

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना सोमवार २० मार्च २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    ReplyDelete
  3. आदरणीय सर बहुत सुंदर गीत,

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीय मधुलिका जी आपका हृदय से आभार

      Delete

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