चित्र साभार गूगल |
दो रंगो के फूल शाख पर
भूले बिसरे
लोग मोड़ पर
मिलते कभी -कभी.
दो अनजाने
साथ सफ़र में
चलते कभी -कभी.
सपनों के
भी रंग
गुलाबी, पीले, काही से,
अच्छे मौसम
को लिखना
खुशबू की स्याही से,
दो रंगों के
फूल डाल पर
खिलते कभी -कभी.
सुंदर पंखो
वाली चिड़िया
लौटी बरसों बाद,
उसे देखकर
गीत पुराना
आया फिर से याद,
आँचल के
साये में दीपक
जलते कभी -कभी.
यात्राओं में भी
हम कितने
रिश्ते बुनते हैँ
राग पहाड़ी
में खो जाते
वंशी सुनते हैँ,
बिना हवाओं
के भी पत्ते
हिलते कभी -कभी.
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
सुन्दर गीत
ReplyDeleteहार्दिक आभार
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना सोमवार २० मार्च २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
हार्दिक आभार आपका
Deleteआदरणीय सर बहुत सुंदर गीत,
ReplyDeleteआदरणीय मधुलिका जी आपका हृदय से आभार
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