एक गीत-हिंदी रानी माँ सी
पखवाड़ा भर
पूजनीय है
बाकी दिन है दासी ।
सिंहासन अब
उसे सौंप दो
हिंदी रानी माँ सी ।
किसी राष्ट्र का
गौरव उसकी
आज़ादी है भाषा ,
संविधान के
षणयंत्रों से
हिंदी बनी तमाशा,
पढ़ती रही
ग़ुलामों वाली
भाषा दिल्ली,काशी ।
कैसा है
वह राष्ट्र न
जिसकी अपनी बोली-बानी,
टेम्स नदी में
ढूंढ रहे हम
गंगाजल सा पानी,
गढ़ो राष्ट्र की
मूरत सुंदर
सीखो संग तराशी ।
बाल्मीकि,
तुलसी,कबीर हैं
निर्मल जल की धारा,
भारत अनगिन
बोली,बानी का
है उपवन प्यारा,
अपनी संस्कृति
और सभ्यता
कभी न होगी बासी ।
जयकृष्ण राय तुषार
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 16 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।सादर प्रणाम
Deleteबहुत सही बात को सुंदरता से गीत में बांधा है ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।सादर प्रणाम
Deleteसुंदर
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार।
Deleteएक-एक शब्द सत्य है, मनन करने योग्य है।
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार आदरणीय
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