Wednesday, 8 September 2021

एक देशगान-उस भारत का अभिनन्दन है

 


एक देशगान-उस भारत का अभिनन्दन है


जिसका पानी

गंगाजल है

हर पेड़ जहाँ का चन्दन है।


जिसकी झीलों में

कमल पुष्प

उस भारत का अभिनन्दन है।


जिसकी सुबहें

सोने जैसी 

दिन रजत ,ताम्र संध्याएँ हैं,

जिसके हिमगिरि

नभ,चाँद सुभग

वेदों संग परीकथाएँ हैं,

जिसके सागर में

रत्न सभी

जिसका हर उपवन नन्दन है।


जहाँ राम कृष्ण

शिव तिरुपति हैं

ऋषियों मुनियों के पुण्य धाम,

जहाँ सत्य अहिंसा

परम धर्म

जहाँ गौ को माँ का दिए नाम,

जिसमें अनगिन

ऋतुएँ, मौसम

सूरज का मणिमय स्यंदन है।

जहाँ एकलव्य

उद्दालक हैं

शिबि,कर्ण, दधीचि से दानवीर,

जहाँ व्यास पाणिनि

शंकर हैं

जहाँ बाल्मीकि,तुलसी,कबीर,

जहाँ सीता,गीता

सावित्री और

अनुसूया का वन्दन है।

कवि -जयकृष्ण राय तुषार

भारत माता


3 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शुक्रवार 10 सितम्बर 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. जहाँ राम कृष्ण

    शिव तिरुपति हैं

    ऋषियों मुनियों के पुण्य धाम,

    जहाँ सत्य अहिंसा

    परम धर्म

    जहाँ गौ को माँ का दिए नाम,
    वाह!!!!
    लाजवाब सृजन

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  3. प्राचीन भारत निस्संदेह ऐसा ही रहा होगा आदरणीय तुषार जी। आज तो ऐसे भारत की कल्पना ही दुष्कर है। काश ऐसा मधुमय, सुवासित, पवित्र भारत पुनः अवतरित हो जाए जैसा आपके इस अति-सुंदर गीत का पारायण करके नयनों के समक्ष उभर आता है।

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