चित्र -गूगल से साभार |
दो गीत -नववर्ष
नववर्ष की मंगलमय शुभकामनाओं सहित
नववर्ष की मंगलमय शुभकामनाओं सहित
नये साल तुम
आना अपना
रंग -रूप ले प्यारा |
संगम में
आये गोमुख से
निर्मल जल की धारा |
मौसम
मन को जीते
बोले मृदु संतों की बानी ,
बच्चों के
सपनों में आये
फिर परियों की रानी ,
मन्दिर -मस्जिद
चर्च -पगोडा
गले मिले गुरुद्वारा |
हल्दी गांठ
कलाई में हो
बासंती दिन लौटे ,
मृगनयनी
आँखों के सहचर
बनें नये कजरौटे ,
फूलों के संग
आंख मिचोली
में दिन बीते सारा |
लोकरंग में
मन रंग जाये
उत्सव धूम मचाये ,
चैती ,सोहर
फगुआ -विरहा
भोर साँझ संग गाये ,
ढोल -मंजीरा
सारंगी का
साथी हो बंजारा |
दो
बड़ों को
प्रणाम कहे
छोटों को प्यार मिले |
नये साल
आना तो
सबको उपहार मिले |
रिश्तों को
धार मिले
कहकहे दालान को ,
गहगहे
गुलाब मिलें
मुरझाते लॉन को ,
बच्चों को
परीकथा
तितली ,इतवार मिले |
सुदर कविता है,
ReplyDeletehttp://rinkiraut13.blogspot.in/
बहुत सुन्दर गीत
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (22-12-2017) को "सत्य को कुबूल करो" (चर्चा अंक-2825) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बढ़िया
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