चित्र -गूगल से साभार |
आदिम युग से चिड़िया गाना गाती है
मौसम की
आँखों से
आँख मिलाती है |
आदिम
युग से
चिड़िया गाना गाती है |
आँधी -
ओले ,बर्फ़
सभी कुछ सहती है ,
पर अपनी
मुश्किल
कब हमसे कहती है ,
बच्चों को
राजा को
सबको भाती है |
एक घोंसले
में चिड़िया
रह लेती है ,
अंडे -बच्चे
सभी उसी
में सेती है ,
नर से
मादा अपनी
चोंच लड़ाती है |
चिड़िया
जंगल की
आँखों का ऐनक है ,
सुबहों
संध्याओं की
इससे रौनक है ,
सुख -
दुःख की
चिट्ठी -पत्री पहुँचाती है |
आसमान
यादों का
जब भी नीला हो ,
सना हुआ
आटा
परात में गीला हो ,
मुंडेरों से
उड़कर
बहुत खूब..।
ReplyDeleteअंतिम बंद तो दिल के तार हिला जाते हैं।
चिड़िया नहीं हो सकते क्या हम ? बहुत सुन्दर गीत!
ReplyDeleteमौसम की
ReplyDeleteआँखों से
आँख मिलाती है |
आदिम
युग से
चिड़िया गाना गाती है |
सुन्दर गीत !
बहुत खूब, चिड़िया का गाना बहुत भाता है।
ReplyDeleteचिड़ियों का कलरव...जीवंत कर दिया...
ReplyDeleteचिड़िया
ReplyDeleteजंगल की
आँखों का ऐनक है ,
सुबहों
संध्याओं की
इससे रौनक है ,
सुख -
दुःख की
चिट्ठी -पत्री पहुँचाती है |
.बहुत प्यारी रचना ...
बहुत प्यारा गीत ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत खूब
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