चित्र -गूगल से साभार |
मित्रों आप सभी को दीपावली की सपरिवार शुभकामनाएं |एक ताज़ा गीत आज सुबह लिखकर आपके लिए पोस्ट कर रहा हूँ |आज गांव जाना है तीस अक्टूबर तक अंतर्जाल से दूर रहूँगा तब तक के लिए विदा ले रहा हूँ |आज एक आश्चर्य हुआ मेरे ब्लॉग सुनहरी कलम पर किसी ने टिप्पड़ी किया मेरे ही ईमेल जैसा नाम बस एक अक्षर नहीं था |मैंने कमेंट्स डिलीट कर दिया |लेकिन यदि किसी ब्लॉग पर मेरे नाम से कोई भद्दा कमेंट्स हो तो मुझे क्षमा करेंगे |मैं लौटकर निगरानी करूँगा |मेरा कम्प्यूटर का ज्ञान बस ब्लोगिंग तक सीमित है |लेकिन किसी ने दुबारा गलत हरकत किया तो साईबर क्राईम के अंतर्गत मुकदमा करने में भी नहीं हिचकूंगा |आप सभी का स्नेहाकांक्षी -जयकृष्ण राय तुषार
आँगन में चंद्रमा उगा गेंदा के
फूलों सी देह
महक रहा खुशबू सा मन |
आंगन में
चन्द्रमा उगा
भर गया प्रकाश से गगन |
घी डूबी
मोम सी उँगलियाँ
रह -रह के बाती को छेड़तीं ,
लौ को जब
छेड़ती हवाएँ
दरवाजा हौले से भेड़तीं ,
टहनी में
उलझा है आंचल
पुरवाई तोड़ती बदन |
भाभी सी
सजी हुई किरनें
इधर उधर चूड़ियाँ बजातीं ,
चौके से
पूजाघर तक
उत्सव के गीत गुनगुनातीं ,
लौटे कजरौटों
के दिन
काजल का आँख से मिलन |
मौन पिता
बैठे दालान में
आज हुए किस तरह मुखर ,
गंगासागर
जैसी माँ
गोमुख सी लग रही सुघर |
खिला -खिला
गुड़हल सा मन
संध्या के माथे चन्दन |
मौन पिता
ReplyDeleteबैठे दालान में
आज हुए किस तरह मुखर ,
गंगासागर
जैसी माँ
गोमुख सी लग रही सुघर |
खिला -खिला
गुड़हल सा मन
संध्या के माथे चन्दन |
पूरा माहौल ही बदल देते हैं त्योंहार ....बहुत सुंदर .. हार्दिक शुभकामनायें
दीपावली का सुन्दर मनोरम द्रश्य उकेर दिया आपने..
ReplyDeleteदीप पर्व की हार्दिक शुभकामना
अत्यन्त सौन्दर्यमयी कविता।
ReplyDeleteसुंदर!
ReplyDeletesundar srijan ko samman , pavan parva ki maubarakvad najar karate hain ....mangalmay ho diwali ....../
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति .. दीपावली की शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ति.
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
आपको दीप-पर्व पर अनंत शुभकामनाएं. आप ऐसे ही ब्लागिंग में नित रचनात्मक दीये जलाते रहें !!
ReplyDeleteek dil ko chhoo lene waali kavita. please encourage me by reading my other poems as i am very new on blog writings. thank you.
ReplyDeleteबेहतरीन भाव...दीपावली की शुभकामनाएं...
ReplyDeletebahut sundar..
ReplyDeleteइस् सुन्दर गीत के लिए बधाई स्वीकार करें तुषार जी
ReplyDeleteदिवाली-भाई दूज और नववर्ष की शुभकामनाएं
मौन पिता
ReplyDeleteबैठे दालान में
आज हुए किस तरह मुखर ,
गंगासागर
जैसी माँ
गोमुख सी लग रही सुघर |
खिला -खिला
गुड़हल सा मन
संध्या के माथे चन्दन |
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दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ
तुषार जी नमस्कार, सुन्दर गीत मौन पिता----- दीपावली व छठं की बधाई।
ReplyDeleteगंभीर कविता... समय का खाका खिंचा है आपने .. दिवाली की हार्दिक शुभकामना !
ReplyDeletegreat Tusar jee...how is going with you...
ReplyDeletehar bar ki tarah adhbudh , anupam ............man ko prasannta deta hai . aapko dipawali ki hardhik shubhkamnaye .
ReplyDeletewaqt milne par mere blog par bhi ayiye .
http/sapne-shashi.blogspot.com
वाह, क्या कहने इस नवगीत के।
ReplyDeleteअनूठे शब्द, अनोखे भाव, अद्भुत शिल्प।