Monday, 10 October 2011

एक गीत -कालिख पुते हुए हाथों में

चित्र -गूगल से साभार 
कालिख पुते 
हुए हाथों में 
दिये दीवाली के |
कापालिक की 
कैद सभी
मंतर खुशहाली के |

हल टूटे हैं 
खेत रेहन में 
भरते मालगुजारी ,
सूदखोर 
के हाथ सरौते 
हम सब पान -सुपारी ,
पत्तल भी 
अदृश्य क्या देखें 
सपने थाली के ?

जादू -टोने 
तन्त्र -मंत्र सब 
करके हार गये ,
और अधिक 
पीड़ादायक 
निकले बेताल नये ,
इन्द्रप्रस्थ के 
रहें प्रजाजन 
या वैशाली के |

सरपंचों के 
घर -आंगन 
रोशनी नियानों की ,
हम 
बस्ती में रहते 
खस्ताहाल मकानों की ,
सोने में 
उछाल कान 
सूने घरवाली के |

सब नकली 
घी ,हव्य -
आचमन हवनकुंड में ,
बसे पुरोहित 
गांव छोड़ 
दादर ,मुलुण्ड में ,
ढूँढे से भी 
फूल नहीं 
मिलते शेफाली के |

13 comments:

  1. सूदखोर
    के हाथ सरौते
    हम सब पान -सुपारी .

    वाह,एकदम नई approach.

    ReplyDelete
  2. सुन्दर नव गीत ... नए विचार.... बहुत सुन्दर...

    ReplyDelete
  3. जादू -टोने
    तन्त्र -मंत्र सब
    करके हार गये ,
    और अधिक
    पीड़ादायक
    निकले बेताल नये ,
    इन्द्रप्रस्थ के
    रहें प्रजाजन
    या वैशाली के |
    bahut hi utkrisht

    ReplyDelete
  4. वाह ...बहुत सुन्दर गीत

    ReplyDelete
  5. क्या बात है , दिल छूने वाली कविता ,संवेदनाओं का उच्चारण कितनी सहजता से किया ,तारीफ-ए- काबिल है ,उत्क्रिस्ट सृजन की मुक्त कंठ से प्रशंसा राय साहब ./

    ReplyDelete
  6. इन्ही विसंगतियों और विडम्बनाओं से भरी है जिन्दगी -अच्छा उकेरा है आपने!

    ReplyDelete
  7. सरपंचों के
    घर -आंगन
    रोशनी नियानों की ,
    हम
    बस्ती में रहते
    खस्ताहाल मकानों की ,
    आपकी कविता जीवन के विरल दुख की तस्‍वीर है, इसमें समाई पीड़ा आम जन की दुख-तकलीफ है। कविता कथ्य और शिल्प दोनों मामले में बेजोड़ है। नवगीत के शिल्प बुनने का आपका कौशल सधा हुआ है।

    ReplyDelete
  8. manoj ji ki baat se bilkul sehmat hoon...!

    ReplyDelete
  9. बहुत अच्छी भावपूर्ण रचना..बधाई स्वीकारें

    नीरज

    ReplyDelete
  10. हल टूटे हैं
    खेत रेहन में
    भरते मालगुजारी ,
    सूदखोर
    के हाथ सरौते
    हम सब पान -सुपारी ,
    पत्तल भी
    अदृश्य क्या देखें
    सपने थाली के ?

    ___________________

    baDhiyaa

    ReplyDelete
  11. जादू -टोने
    तन्त्र -मंत्र सब
    करके हार गये ,
    और अधिक
    पीड़ादायक
    निकले बेताल नये ,
    इन्द्रप्रस्थ के
    रहें प्रजाजन
    या वैशाली के |

    भाव पूर्ण पंग्तियाँ ..सच्चाई उजागर करने वाली

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

एक गीत -सर्द मौसम

  चित्र साभार गूगल  एक गीत -सर्द मौसम  बर्फ़ में गुलमर्ग  औली  और शिमला है. सर्द मौसम में  गुलाबी  कोट निकला है. छतें  स्वेटर बुन रही हैं  भा...