चित्र -गूगल से साभार |
एक गज़ल -वो चुप रहे खुदा की तरह
उसी के कदमों की आहट सुनाई देती है
कभी-कभार वो छत पर दिखाई देती है
मैं उससे बोलूं तो वो चुप रहे खुदा की तरह
मैं चुप रहूं तो खुदा की दुहाई देती है
वो एक खत है जिसे मैं छिपाये फिरता हूं
जहां खुलूस की स्याही दिखाई देती है
तमाम उम्र उंगलियां मैं जिसकी छू न सका
वो चूड़ी वाले को अपनी कलाई देती है
वो एक बच्ची खिलौनों को तोड कर सारे
बड़े सलीके से मां को सफाई देती है
जयकृष्ण राय तुषार
तमाम उम्र उंगलियां मैं जिसकी छू न सका
ReplyDeleteवो चूड़ी वाले को अपनी कलाई देती है
बहुत सुन्दर मन खुश को गया
तमाम उम्र उंगलियां मैं जिसकी छू न सका
ReplyDeleteवो चूड़ी वाले को अपनी कलाई देती है
kya bat he ab dil kahta he chudi wala ban jau
nice
ReplyDeleteBehtreen gazal hai.badhai tusharji shubhra rai
ReplyDeletebahut achchi gazal.
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत और शानदार ग़ज़ल लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
ReplyDeleteमैं उससे बोलूं तो वो चुप रहे खुदा की तरह
ReplyDeleteमैं चुप रहूं तो खुदा की दुहाई देती है
तमाम उम्र उंगलियां मैं जिसकी छू न सका
वो चूड़ी वाले को अपनी कलाई देती है
बोलने के लिये कुछ छोडा ही नहीं भाई...
Bahut hi badiya ghazal...
ReplyDeleteTalented :)
Saari lines bahut khoobi se likhi hai par mujhe yeh wali best lagi...
"उसी के कदमों की आहट सुनाई देती है
कभी-कभार वो छत पर दिखाई देती है
मैं उससे बोलूं तो वो चुप रहे खुदा की तरह
मैं चुप रहूं तो खुदा की दुहाई देती है"
Regards,
Dimple
वो एक बच्ची खिलौनों को तोड कर सारे
ReplyDeleteबड़े सलीके से मां को सफाई देती है
...बहुत सुन्दर ...शानदार अभिव्यक्तियों के लिए बधाई !!
तमाम उम्र उंगलियां मैं जिसकी छू न सका
ReplyDeleteवो चूड़ी वाले को अपनी कलाई देती है
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अब इससे आगे क्या कहें तुषार जी. आपने खुद ही कह दिया.लाजवाब.
बहुत सुन्दर लिखा अंकल जी.
ReplyDeleteआज मदर्स डे है...बधाई.
मेरे ब्लॉग पर पधारने का शुक्रिया ...बहुत सुंदर रचनाएं हैं आपकी
ReplyDeleteBHAI MANN GAY AAP KO KAYA KAVITA LIKI HAI ...... MAI IS KAVITA KO ESI ANUBHUTI MANO YEKAVITA ABHI LIKI HO......
ReplyDeleteBHAI MANN GAY AAP KO KAYA KAVITA LIKI HAI ...... MAI IS KAVITA KO ESI ANUBHUTI MANO YEKAVITA ABHI LIKI HO......
ReplyDeleteBHAI MANN GAY AAP KO KAYA KAVITA LIKI HAI ...... MAI IS KAVITA KO ESI ANUBHUTI MANO YEKAVITA ABHI LIKI HO......
ReplyDeletevery Good.Thanks
ReplyDeleteवो एक बच्ची खिलौनों को तोड कर सारे
ReplyDeleteबड़े सलीके से मां को सफाई देती है
वाह! क्या खूब !
बहुत अच्छी गज़ल कही है.
very nice. thanks
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