चित्र साभार गूगल |
जब गुलाबी फूल खिलते हैं
मौसमों से रंग मिलते हैं
पोछता हूँ धूल जब तस्वीर से
मन किसी को याद करता है.
हाथ जब मेंहदी रचाते हैं
पेड़ पंछी गुनगुनाते हैं
धूप को जब छाँह मिलती है
सुरमई जब शाम ढलती है
खिड़कियों पर टांगकर पर्दे
मौन भी संवाद करता है
मन किसी को याद करता है.
चिट्ठियों के दिन कहाँ खोये
कब हँसे हम और कब रोये
मन लिखे भूली कथाओं को
प्रेम की पावन ऋचाओं को
प्रेम और वैराग्य का स्वागत
यह इलाहाबाद करता है.
मन किसी को याद करता है.
पथ कभी छूटे नहीं मिलते
हर समय गुड़हल नहीं खिलते
वक्त ही हमको नई आवाज़ देता है
आम्रपाली को वही सुर साज देता है
गीत लिखते हम मगर जादू
साज पर नौशाद करता है
मन किसी को याद करता है.
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
बेहद सुंदर सृजन
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका. सादर अभिवादन
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