Sunday 4 June 2023

एक भक्ति गीत -मन से गोरखबानी पढ़ ले



भक्ति गीत -मन से गोरखबानी पढ़ ले


गीता के संग मानस पढ़कर

मन से गोरखबानी पढ़ ले.

यह जग माया की पगडंडी

संतों को सैलानी पढ़ ले.


हठयोगी, दंडी, सन्यासी

सारे पंथ उसी से निकले,

रंग ज्योति का सिर्फ़ एक है

हमको लगते काले उजले,

सूरज जैसे उगे भोर का

मन में इक वृन्दावन गढ़ ले.


शंकर, गुरू मछन्दर, गोगा

गुरू गोरख की महिमा न्यारी,

सत्य सनातन ज्ञान, धर्म की

गंगा की धरती फुलवारी,

मानसरोवर मिलना ही है

हिमगिरि पर हिम्मत कर चढ़ ले.


गुरू रैदास न कबिरा छूटे

अमृत कलश कभी ना फूटे,

माला तुलसी या मोती की

कभी न कोई मनका टूटे,

जोगी मन सारंगी लेकर

दुःखियारे की पीड़ा पढ़ ले.

कवि -जयकृष्ण राय तुषार

रामचरित मानस 


No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

स्मृतिशेष माहेश्वर तिवारी के लिए

  स्मृतिशेष माहेश्वर तिवारी  हिंदी गीत /नवगीत की सबसे मधुर वंशी अब  सुनने को नहीं मिलेगी. भवानी प्रसाद मिश्र से लेकर नई पीढ़ी के साथ काव्य पा...