चित्र साभार गूगल |
एक प्रेमगीत -दरपन ही देख रहा सोलह श्रृंगार
किस्मत में
मेरे बस
बचा -खुचा प्यार.
दरपन ही
देख रहा
सारा श्रृंगार.
कर्णफूल
विंदिया संग
मोहक मुस्कान,
चंद्र मुखी
झीलों में
फूलों के बान,
मीनाक्षी
आँखों में
काजल की धार.
हरे -भरे
मौसम का
रंग बियाबान का,
इत्र -फूल की
खुशबू
रंग चढ़ा पान का,
सुधियों में
कैद किए
सारा सम्भार.
शोख अदा
रिमझिम में
मेघोँ से केश खुले,
धूल भरे
आँगन में
रंग लगे पाँव धुले,
आरती
रंगोली हो
या हो अभिसार.
कवि
जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
चित्र साभार गूगल
Very Good
ReplyDeleteहार्दिक आभार.
Deleteआप ने लिखा.....
ReplyDeleteहमने पड़ा.....
इसे सभी पड़े......
इस लिये आप की रचना......
दिनांक 05/06/2023 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की जा रही है.....
इस प्रस्तुति में.....
आप भी सादर आमंत्रित है......
हार्दिक आभार आपका
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteआभार
सादर
हार्दिक आभार आपका
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...
लाजवाब सृजन ।
हार्दिक आभार आपका
Deleteदर्पण ही देख रहा सारा श्रंगार.. वाह सुन्दर गीत
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
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