चित्र साभार गूगल |
एक ताज़ा गीत
गीत निराला के प्रयाग का गंगाजल है
गीत वही
जो प्यासी -
ऋतु को सावन कर दे.
गंधहीन
फूलों में
भीनी खुशबू भर दे.
गीत सतपुड़ा
और नर्मदा
की कल- कल है,
गीत
निराला के
प्रयाग का गंगाजल है,
गीत वही
जो कृष्ण -
अधर पर वंशी धर दे.
गीत
प्रेम की नदी
परिंदो की उड़ान है,
संस्कार
उत्सव का यह
आदिम मकान है,
गीत विरह
ही नहीं
सरहदों पर भी स्वर दे.
गीत
वही जो तुलसी
विद्यापति गाते हैं,
गीत
वही जो
मीराबाई को भाते हैं,
गीत वही
जो बाल्मीकि
को पावन कर दे.
फागुन का
रंग जीवन की
उम्मीद गीत है,
बंजारों की
हर मुश्किल में,
यही मीत है,
गीत
वही जो
भीमसेन सा जादू कर दे.
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
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