Tuesday, 21 September 2021

एक गीत-चाँदनी निहारेंगे

 

चित्र साभार गूगल

एक गीत-चाँदनी निहारेंगे


रंग चढ़े

मेहँदी के

मोम सी उँगलियाँ ।

धानों की

मेड़ों पर

मेघ औ बिजलियाँ ।


खुले हुए

जूड़े और

बच्चों के बस्ते,

हँसकर के

खिड़की से

सूर्य को नमस्ते,

फूलों का

माथ चूम

उड़ रहीं तितलियाँ ।


 ढूँढ रहे

अर्थ सुबह

रातों के सपने,

रखकर

ताज़ा गुलाब

पत्र लिखा किसने,

आटे की

गोली सब

खा गयीं मछलियाँ ।


आहट

दीवाली की

किस्से रंगोली के,

दिन लौटे

दिए और

पान-फूल रोली के

चाँदनी

निहारेंगे छत

आँगन-गलियाँ ।



16 comments:

  1. आपका गीत तो मनभावन है ही तुषार जी, संलग्न चित्र भी हृदय-विजयी है।

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    1. हार्दिक आभार आपका आदरणीय।सादर अभिवादन

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    1. आपका हृदय से आभार।सादर प्रणाम

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  3. वाह!! बहुत सुंदर।

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    1. हार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन

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  4. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (22-09-2021) को चर्चा मंच       ‘तुम पै कौन दुहाबै गैया’  (चर्चा अंक-4195)  पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।--हिन्दी दिवस की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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  5. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 22सितंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    !

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    1. आपका हृदय से आभार।सादर अभिवादन पम्मी जी

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  6. बहुत ही प्यारी और मनमोहक रचना!

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    1. मनीषा जी आपका हृदय से आभार।सादर अभिवादन

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  7. बहुत ही खूबसूरत , मनभावन।

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  8. बहुत सुंदर

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