चित्र -गूगल से साभार |
आधा कप
चाय और
आधा कप प्यार |
चुपके से
आज कोई
दे गया उधार |
सांकल को
बजा गयी
सन्नाटा तोड़ गई ,
यादों की
एक किरन
कमरे में छोड़ गई ,
मौन की
उँगलियों से
छू गया सितार |
सम्मोहन
आकर्षण
मोहक मुस्कान लिए ,
तैर गई
खुशबू सी
वो मगही पान लिए ,
लहरों ने
तोड़ दिया
अनछुआ कगार |
परछाई
छूने में
हम हारे या जीते ,
सूरज के
साथ जले
चांदनी कहाँ पीते ,
अनजाने में
मौसम
दे गया बहार |
वृन्दावन
होता मन
गोकुल के नाम हुआ ,
बोझिल
दिनचर्या में
एक सगुन काम हुआ ,
आना जी
आना फिर
वही शुक्रवार |
जीवन का
संघर्षों से
वैसे नाता है ,
कभी -कभी
लेकिन यह
प्रेमगीत गाता है ,
कभी यह
वसंत हुआ
बेहतरीन भाव उम्दा प्रेम गीत,,,
ReplyDeleteRECENT POST: तेरी फितरत के लोग,
ReplyDeleteसांकल को
बजा गयी
सन्नाटा तोड़ गई ,
यादों की
एक किरन
कमरे में छोड़ गई ,
मौन की
उँगलियों से
छू गया सितार |
...bahut sundar geet tushar ji premmayi ho gaya sansaar ,hamko shabdo ki abhivyakti se pyar .
बहुत ही प्रेमपूर्ण गीत..कोमल..
ReplyDeleteआधा कप चाय और आधा कप प्यार .... बहुत प्यारा गीत ...
ReplyDeleteयह प्रेमगीत गता है ..... गाता कर लें ।
बहुत खूबसूरत नवगीत है तुषार जी, बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteसंगीता जी जल्दी -जल्दी टाइप करने में छूट गया था |ध्यान दिलाने हेतु आभार |भाई धीरेन्द्र जी ,शशि जी अग्रज प्रवीण जी ,भाई धर्मेन्द्र जी आप सभी का बहुत -बहुत आभार |
ReplyDeleteसुंदर गीत ........
ReplyDeleteदिल को हौले हौले से सहलाकर भव विभोर कर गई आपकी यह प्यारी सी रचना.... बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteसम्मोहन
ReplyDeleteआकर्षण
मोहक मुस्कान लिए ,
तैर गई
खुशबू सी
वो मगही पान लिए ,
लहरों ने
तोड़ दिया
अनछुआ कगार द्य
आपके गीत मुझे बहुत पसंद हैं।
हर बार शिल्प और प्रतीकों की नवीनता मन मोह लेती है।
''आधा कप चाय और आधा कप प्यार ''वाह क्या बात है; तुषार जी ! ताजे फूलों की सी सुगंघ बिखेरता ताजगी भरा गीत ;पढ़कर आनंद आ गया .
ReplyDeleteइस नवगीत में कुछ अनूठे और नवीन प्रयोग किए गए हैं, जो मन को हर्षित करते हैं।
ReplyDeleteअहः हा हा हा भाई शब्दों की जादूगरी कोई आपसे सीखे...कमाल करते हैं...बेहद खूबसूरत भाव शब्द और शिल्प...दीवाना बना दिया...बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज