चित्र -गूगल से साभार माँ की स्मृतियों को प्रणाम करते हुए |
एक गीत -माँ ! नहीं हो तुम
माँ !नहीं हो
तुम कठिन है
मुश्किलों का हल |
अब बताओ
किसे लाऊँ
फूल ,गंगाजल |
सफ़र से
पहले दही -गुड़
होंठ पर रखती ,
किन्तु घर के
स्वाद कड़वे
सिर्फ़ तुम चखती ,
राह में
रखती
हमारे एक लोटा जल |
सांझ को
किस्से सुनाती
सुबह उठ कर गीत गाती ,
सगुन -असगुन
पर्व -उत्सव
बिना पोथी के बताती ,
रोज
पूजा में
चढ़ाती देवता को फल |
तुम दरकते
हुए रिश्तों की
नदी पर पुल बनाती |
मौसमों का
रुख समय से
पूर्व माँ तुम भाँप जाती ,
तुम्हीं से
था माँ !
पिता के बाजुओं में बल |
मौन में तुम
गीत चिड़ियों का
अंधेरे में दिया हो ,
माँ हमारे
गीत का स्वर
और गज़ल का काफ़िया हो ,
आज भी
यादें तुम्हारी
हैं मेरा संबल |
तीन -चार दिन के लिए गाँव जा रहा तब तक अंतर्जाल से दूर रहूँगा |अपना स्नेह बनाए रक्खें |आभार सहित |
ReplyDeleteस्मृतियाँ ही संबल बनकर जीती रहती।
ReplyDeleteतुम दरकते
ReplyDeleteहुए रिश्तों की
नदी पर पुल बनाती |.... bahut hi sundar chitran kiya hai maa ka ...
माँ की स्मृतियाँ ताउम्र याद रहती है,,,
ReplyDeleteमाँ पर लिखी रचना देखे,,,
MY RECENT POST:...माँ...:
बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteअलोक श्रीवास्तव की रचना अम्मा की कुछ लाइनें याद आ गयीं...
ReplyDeleteघर में झीने-रिश्ते मैंने लाखों बार उघडते देखे...
चुपके से कर देती है जाने कब तुरपाई अम्मा...
माँ को सादर नमन...सुन्दर रचना...
हृदयस्पर्शी स्मृतियाँ .....
ReplyDeleteमौन में तुम
ReplyDeleteगीत चिड़ियों का
अंधेरे में दिया हो ,
माँ हमारे
गीत का स्वर
और गज़ल का काफ़िया हो ,
आज भी
यादें तुम्हारी
हैं मेरा संबल |
बहुत सुन्दर श्रद्धा भाव
आज 14-10-12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete.... आज की वार्ता में ... हमारे यहाँ सातवाँ कब आएगा ? इतना मजबूत सिलेण्डर लीक हुआ तो कैसे ? ..........ब्लॉग 4 वार्ता ... संगीता स्वरूप.
अति सुन्दर ..विह्वल करती रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई..
ReplyDeleteकिन्तु घर के
ReplyDeleteस्वाद कड़वे
सिर्फ़ तुम चखती ,
पिता के बाजुओं का बल .... बहुत सुंदर भावों से सजी प्यारी रचना
बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी पंक्तियाँ...
सादर
अनु
सुन्दर रचना
ReplyDelete