यह वर्ष बेमिसाल है होली मनाइये
हर शखस फटेहाल है होली मनाइये
मनमोहनी हॅंसी ने रुला करके रख दिया
सौ रुपये में दाल है होली मनाइये
कुर्सी महल पवार के हिस्से में दोस्तों
अपने लिए पुआल है होली मनाइये
घर में नहीं है चीनी तो गुझिया न खाइये
अफसर के घर में माल है होली मनाइये
रंगों में घोटाला है मिलावट अबीर में
मौसम भी ये दलाल है होली मनाइये
हाथों में ले अबीर अमर सिंह न बैठिए
घर में भले बवाल है होली मनाइये
राहुल भी ठाकरे से हैं होली के मूड में
सादा बस एक गाल है होली मनाइये
जनता का जिस्म पड़ गया नीला तो क्या हुआ
सत्ता का चेहरा लाल है होली मनाइये
पाले में नंगा जिस्म ले मरता रहे किसान
मस्ती में लेखपाल है होली मनाइये
पी करके भंग सो रही संसद विधायिका
अपना किसे खयाल होली मनाइये
बहुमत में बहिन जी हैं विरोधी शिकस्त में
हाथी का सब कमाल है होली मनाइये
कैसा है इन्कलाब कोई शोर तक नहीं
बुझती हुई मशाल है होली मनाइये
aapke sabhi geet padhe. ache geeton ke liye dhanyawaad. aise hi aur geet padhne ko milenge, asha hai.
ReplyDeletebujhati hui mashal hai holi manaiye. Wah Sahab kya bat hai, aapki kavitao mai jamane ka dard hai.
ReplyDeletetushar lage raho, rang layegi tumhari fankamasti ek din. bhai, tumhare ander ek bada rachnakaar kulbula raha hai. use es blog par utar kar amar kar do. meri shubhkaamnayen tumhare saath hain. late kailash ji aur yash malviye ji jaise rachnakaron ko bhi blog par le aayo aur kuchh milestones ko bhi. baaki tum behtar samajh sakate ho. Giteshwar
ReplyDeleteholi par apki rang bhari kavita.thanks
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