ग़ज़ल संग्रह "सियासत भी इलाहाबाद में संगम नहाती है"की समीक्षा आज अमर उजाला में साहित्यिक पेज मनोरंजन में छपी है. लेखक श्री श्री चित्रसेन रजक जी सम्पादक श्री देव प्रकाश चौधरी जी का हृदय से आभार
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एक गीत -गा रहा होगा पहाड़ों में कोई जगजीत
चित्र साभार गूगल एक गीत -मोरपँखी गीत इस मारुस्थल में चलो ढूँढ़े नदी को मीत. डायरी में लिखेंगे कुछ मोरपँखी गीत. रेत में पदचिन्ह होंगे ...

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चित्र -साभार गूगल एक गीत -कहीं देखा गाछ पर गाती अबाबीलें ढूँढता है मन हरापन सूखतीं झीलें | कटे छायादार तरु अब ...
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लाल किला -चित्र गूगल से साभार एक देशगान -कितना सुन्दर, कितना प्यारा देश हमारा है कितना सुंदर कितना प्यारा देश हमार...
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यह प्रयाग है यहाँ धर्म की ध्वजा निकलती है यह प्रयाग है यहां धर्म की ध्वजा निकलती है यमुना आकर यहीं बहन गंगा से मिलती है। संगम क...
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