Tuesday, 11 February 2025

कुम्भ गीत -माथ -माथ चंदन है

 

चित्र साभार गूगल 

एक ताज़ा गीत -गंगा सा निर्मल मन 

गंगा सा 

निर्मल मन 

माथ -माथ चंदन है.

संगम की 

रेती में 

सबका अभिनन्दन है.


थके -थके 

पाँव मगर 

मन में उत्साह प्रबल,

महाकुम्भ 

दर्शन को 

आतुर है विश्व सकल,

मणिपुर-

केरल,काशी, 

पेरिस औ लंदन है.


कालिंदी 

गंगा का सुखद 

मिलन बिंदु यही,

भक्तों की 

आस्था का 

एक महासिंधु यही,

संत और 

अखाड़ों का 

यहाँ वहाँ वंदन है.


ब्रह्मा की 

यज्ञ भूमि 

तीर्थराज कहते हैं,

द्वादश माधव 

इसमें रक्षक 

बन रहते हैं,

यह तो 

रविदास की 

कठौती का कँगन है.


कवि 

जयकृष्ण राय तुषार


No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

एक प्रेमगीत -उसकी यादों में मैं गीत सुनाता हूँ

  चित्र साभार गूगल  आप सभी का दिन शुभ हो  एक प्रेम गीत -उसकी यादों में मैं गीत सुनाता हूँ  आसपास है कोई  जिसको ख़बर नहीं  उसकी यादों में  मैं...