यह देश का दुर्भाग्य है की सनातन धर्म सबसे प्राचीन होते हुए भी प्रभु श्रीराम, शिव. भगवान श्री कृष्ण पर अदालतों में मुक़दमे चल रहे हैँ. यूरोप अमेरिका में कभी अदालत में ईसा मसीह को सबूत नहीं देना पड़ता. आजादी के समय ही यह तय हो जाना चाहिए था कि भारत का आदर्श बाबर होगा या श्री राम. भारत का विभाजन ज़ब धर्म के आधार पर हुआ तो भारत हिन्दू राष्ट्र क्यों नहीं संविधान और विभाजन दोनों हिन्दुओं के साथ षड्यंत्र था जिसके कारण आज शिव और कृष्ण का अस्तित्व संकट में है. क्या ऐसा कोई देश है जहाँ ईश्वर अदालत में हो जिसकी गीता की शपथ राष्ट्रपति और न्यायधीश भी लेते हैँ. संविधान का पुनरलेखन होना चाहिए हमारा अधिकार है हिन्दू राष्ट्र होना. ताकि ईश्वर को देश की अदालतों में जलील न होना पड़े. केंद्र सरकार कड़ा क़ानून बनाकर मुगलों द्वारा ध्वस्त मंदिरों का अधिग्रहण करे और उनका नव निर्माण.हर हर महादेव.
प्रभु श्रीराम |
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 22 मई 2023 को साझा की गयी है
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हार्दिक आभार
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 22 मई 2023 को साझा की गयी है
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हार्दिक आभार आपका
Deleteबहुत बढ़िया समसामयिक ग़ज़ल।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteसुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर समसामयिक गजल।
हार्दिक आभार आपका
Deleteवाह बहुत खूब!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (24-05-2023) को "सारे जग को रौशनी, देता है आदित्य" (चर्चा अंक 4659) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार सर
Deleteशुभा जी आपका हृदय से आभार. सादर नमस्ते
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