श्री पवन कुमार(I.A.S) निदेशक उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान,लखनऊ |
मैं हनुमान का विमोचन सूर्य प्रसाद दीक्षित और पवन कुमार |
एक ग़ज़ल -शायर श्री पवन कुमार आई0ए0एस0
सब पे ज़ाहिर न अपना फ़न कीजे
गुफ़तगू भी इशारतन कीजे
दूर एहसास की थकन कीजे
नींद के नाम अब बदन कीजे
हम को तन्हाइयां मुबारक हों
मुन्अक़िद आप अन्जुमन कीजे
ज़िंदगी इस तरह नहीं कटती
पहले माथे को बेशिकन कीजे
रूह अब बेलिबासी चाहती है
जिस्म का दूर पैरहन कीजे
हर तरफ है खुला हुआ जंगल
अब तो बेचैनियां हिरन कीजे
घर में रहते हुए न घर में रहें
इस तरह ख़ुद को बेवतन कीजे
चित्र साभार गूगल |
@pawan
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