चित्र साभार गूगल |
एक ताज़ा ग़ज़ल-
अच्छी चीजें सबको अच्छी लगती हैं
राग ,रंग,सुर,ताल बदलकर गाता है
खुशबू,बारिश,धूप का मौसम आता है
कोई दरिया खारा कोई मीठा है
प्यास बुझाता कोई प्यास बढ़ाता है
अच्छी चीजें सबको अच्छी लगती हैं
बच्चा भी खिड़की से चाँद दिखाता है
सबको शक था कौन है उसके कमरे में
अक्सर वह आईने से बतियाता है
तुलसी,ग़ालिब,मीर पढ़ो या खुसरो को
बाल्मीकि ही छन्दों का उद्गाता है
जब भी तन्हा दिल में ज्वार उमड़ता है
सागर भी साहिल से मिलने आता है
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
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नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (13-12-2021 ) को 'आग सेंकता सरजू दादा, दिन में छाया अँधियारा' (चर्चा अंक 4277 )' पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
हार्दिक आभार आपका भाई रविन्द्र जी
Deleteबेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद मनीषा जी हार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन
Deleteबहुत सुंदर सृजन
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन
Deleteवाह!बेहतरीन सृजन सर।
ReplyDeleteसादर
हार्दिक आभार आपका।सादर अभिवादन
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