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हर हर महादेव |
हर हर महादेव ।काशी के प्राचीन और वर्तमान वैभव अध्यात्म के नमन
काशी पर कुछ लिखना मुझ जैसे अदना कवि के लिए संभव नहीं फिर भी एक कोशिश-
काशी अनादि,सत्य,सनातन महान हौ
काशी सजल हौ आज अनोखा विहान हौ
घर-घर सजल हौ फूल की
खुशबू से इत्र से
गलियारा भरि गइल हौ
अतिथि,इष्ट-मित्र से
डमरू बजत हौ
घाट-घाट शंखनाद हौ
गंगा के घाट-धार में
कलकल निनाद हौ
रुद्राक्ष हौ गले में भरल मुँह में पान हौ
काशी सजल हौ आज अनोखा विहान हौ
चौरासी घाट से सजल ई
शिव क धाम हौ
बस हर हर महादेव इहाँ
सुबह शाम हौ
अवधूत,संत शिव की
शरण मे गृहस्थ हौ
गाँजा चिलम औ
भाँग के संग काशी मस्त हौ
कबीरा, रैदास औ इहाँ तुलसी क मान हौ
काशी सजल हौ आज अनोखा विहान हौ
मोदी में आस्था भी हौ
श्रद्धा अपार हौ
ई काशी विश्वनाथ कै
अद्भुत श्रृंगार हौ
पंचकोशी मार्ग हौ इहाँ
भैरव क मान हौ
अध्यात्म तंत्र-मंत्र
इहाँ मोक्ष ज्ञान हौ
संगीत औ शास्त्रार्थ में एकर बखान हौ
काशी सजल हौ आज अनोखा विहान हौ
काशी नहीं भागै न
परालै तूफ़ान से
शिव के त्रिशूल पर
हौ टिकल आन-बान से
काशी नहीं अनाथ
इहाँ सारनाथ हौ
भक्तन के शीश पर
इहाँ गंगा कै हाथ हौ
घर-घर में इहाँ वेद-पुरानन क ज्ञान हौ
काशी सजल हौ आज अनोखा विहान हौ
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
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