Tuesday 27 July 2021

एक गीत -भारत की नारी

 

कृष्ण भक्त मीराबाई

एक गीत-भारत की नारी


हर युग में

भारत की नारी

शिखरों को चूमा करती है।

वह दीप शिखा

बनकर जीवन पथ

का सारा तम हरती है ।


लिखती है

गीत 'सुभद्रा' बन

रण में झाँसी की रानी है,

'भारती'सरीखी

विदुषी वह

अनुसूया जैसी दानी है,

जब भक्ति

प्रेम का भाव उठे

मीरा कब विष से डरती है ।


सावित्री

सीता माता ने

सुंदर पति धर्म निभाया है,

यशगान

नारियों का अनुपम

वेदों,ग्रन्थों ने गाया है,

सब भार

उठाये जीवों का

स्त्री ही माता धरती है।


कल्पना चावला बन

तारों में पँख

लगाकर उड़ती है,

विजयी मुद्रा में

स्वर्ण पदक लेकर

ही पीछे मुड़ती है,

इसरो में बैठे

चन्द्रयान का

स्वप्न सजाया करती है ।


गंगा,यमुना

नर्मदा और

सरयू जीवन की रेखा है,

इस रम्य सृष्टि में

हम सबने

इनकी महिमा को देखा है,

हर नदी

हरापन लाती है

खाली सागर को भरती है ।

कवि-जयकृष्ण राय तुषार

महारानी लक्ष्मीबाई


16 comments:

  1. बहुत सुंदर गीत।

    ReplyDelete
  2. सदा स्मरण करने योग्य गीत रचा है तुषार जी आपने।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आपका आदरणीय माथुर साहब।सादर अभिवादन

      Delete
  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 29-07-2021को चर्चा – 4,140 में दिया गया है।
    आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद सहित
    दिलबागसिंह विर्क

    ReplyDelete
  4. लयबद्ध अति सुंदर गीत।

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर गीत, भारतीय नारियों का सुंदर दृश्य चित्रण करता गीत।
    अप्रतिम।

    ReplyDelete
  6. बहुत ही बेहतरीन गीत! भारतीय नारी पर लिखने के लिए आपका तहेदिल से धन्यवाद आदरणीय सर🙏

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका हृदय से आभार।सादर अभिवादन सहित

      Delete
  7. बहुत सुंदर

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीय।सादर अभिवादन

      Delete

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

एक ग़ज़ल -ग़ज़ल ऐसी हो

  चित्र साभार गूगल  एक ग़ज़ल - कभी मीरा, कभी तुलसी कभी रसखान लिखता हूँ  ग़ज़ल में, गीत में पुरखों का हिंदुस्तान लिखता हूँ  ग़ज़ल ऐसी हो जिसको खेत ...