महीयसी महादेवी वर्मा |
एक गीत-
महीयसी महादेवी वर्मा को समर्पित
आधुनिक मीरा
महादेवी थीं
छायावाद की ।
काव्य संगम
की सरस्वती
वह इलाहाबाद की।
गीत,निबन्ध
कहानियों से
सजीं सुन्दर दीपमाला,
घन तिमिर में
चाँदनी बनकर
रहीं देती उजाला,
'सप्तपर्णा'
कृति अनूठी
काव्य के अनुवाद की ।
सदा चिन्ता
स्त्रियों के
मान और सम्मान की,
वह थीं
शुभचिंतक,निराला
पंत से दिनमान की,
दार्शनिक
चिंतन,कभी
कविता लिखीं अवसाद की।
मोर,गिल्लू
और गौरा से
अनूठा प्यार उनका,
खग-विहग
कुछ फूल,तितली
बन गए परिवार उनका,
जिन्दगी भर
रही कोशिश
प्रकृति से संवाद की ।
कवि-जयकृष्ण राय तुषार
बढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteवाह।
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