कृष्ण भक्त मीराबाई |
एक गीत-भारत की नारी
हर युग में
भारत की नारी
शिखरों को चूमा करती है।
वह दीप शिखा
बनकर जीवन पथ
का सारा तम हरती है ।
लिखती है
गीत 'सुभद्रा' बन
रण में झाँसी की रानी है,
'भारती'सरीखी
विदुषी वह
अनुसूया जैसी दानी है,
जब भक्ति
प्रेम का भाव उठे
मीरा कब विष से डरती है ।
सावित्री
सीता माता ने
सुंदर पति धर्म निभाया है,
यशगान
नारियों का अनुपम
वेदों,ग्रन्थों ने गाया है,
सब भार
उठाये जीवों का
स्त्री ही माता धरती है।
कल्पना चावला बन
तारों में पँख
लगाकर उड़ती है,
विजयी मुद्रा में
स्वर्ण पदक लेकर
ही पीछे मुड़ती है,
इसरो में बैठे
चन्द्रयान का
स्वप्न सजाया करती है ।
गंगा,यमुना
नर्मदा और
सरयू जीवन की रेखा है,
इस रम्य सृष्टि में
हम सबने
इनकी महिमा को देखा है,
हर नदी
हरापन लाती है
खाली सागर को भरती है ।
कवि-जयकृष्ण राय तुषार
महारानी लक्ष्मीबाई |
बहुत सुंदर गीत।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteसदा स्मरण करने योग्य गीत रचा है तुषार जी आपने।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका आदरणीय माथुर साहब।सादर अभिवादन
Deleteबहुत सुंदर गीत ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 29-07-2021को चर्चा – 4,140 में दिया गया है।
ReplyDeleteआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
हार्दिक आभार आपका
Deleteलयबद्ध अति सुंदर गीत।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteबहुत सुंदर गीत, भारतीय नारियों का सुंदर दृश्य चित्रण करता गीत।
ReplyDeleteअप्रतिम।
हार्दिक आभार आपका
Deleteबहुत ही बेहतरीन गीत! भारतीय नारी पर लिखने के लिए आपका तहेदिल से धन्यवाद आदरणीय सर🙏
ReplyDeleteआपका हृदय से आभार।सादर अभिवादन सहित
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय।सादर अभिवादन
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