चित्र -साभार गूगल |
एक गीत -मौसम में खुशबू है इतर और पान की
हाथों में
मेहँदी है
साड़ी शिफ़ान की |
मौसम में
खुशबू है
इतर और पान की |
रस्ते में
फिसलन है
दिन है आषाढ़ का ,
नदियों का
मंसूबा है
शायद बाढ़ का ,
खेत में
कछारों में
हरियाली धान की |
घोंसले
बया के हैं
पेड़ हैं बबूलों के,
तन-मन
सब भींग रहे
वन,उपवन,फूलों के,
बया के हैं
पेड़ हैं बबूलों के,
तन-मन
सब भींग रहे
वन,उपवन,फूलों के,
नाचते
मयूरों से
शोभा सिवान की |
मयूरों से
शोभा सिवान की |
हरे पेड़
उलझे हैं
बिजली के तारों से ,
खिड़की के
पाट खुले
पुरवा बौछारों से ,
सोने की
बाली फिर
गुम दायें कान की |
बाली फिर
गुम दायें कान की |
गुड़हल के
लाल ,पीत-
फूल हैं कनेरों के ,
मेघों के
घेरे में
सूर्य हैं सवेरों के ,
रह -रह के
बजती है
पायल सीवान की |
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
चित्र -साभार गूगल |
सुन्दर नवगीत
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ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 30 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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ReplyDeleteबहुत खूब ,सादर नमन आपको
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteसादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार
(03-07-2020) को
"चाहे आक-अकौआ कह दो,चाहे नाम मदार धरो" (चर्चा अंक-3751) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है ।
…
"मीना भारद्वाज"
बहुत सुंदर गीत।
ReplyDeleteसरस और मधुर ,लोक-मन से जुड़ी - पढ कर मन आनन्दित हुआ- आभार !
ReplyDeleteगुड़हल के
ReplyDeleteलाल ,पीत-
फूल हैं कनेरों के ,
मेघों के
घेरे में
सूर्य हैं सवेरों के ,
रह -रह के
बजती है
पायल सीवान की |
बहुत ही सुंदर ,सादर नमन
वाह
ReplyDeleteभावों से ओत प्रोत बेहतरीन सृजन आदरणीय सर .
ReplyDeleteइस बेहतरीन लिखावट के लिए हृदय से आभार Appsguruji(जाने हिंदी में ढेरो mobile apps और internet से जुडी जानकारी )
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