Saturday, 27 June 2020

एक गीत -हिन्दुस्तानी एकेडमी के लिए


एक गीत -कुलगीत 
हिन्दुस्तानी एकेडमी प्रयागराज को समर्पित 


हिंदी, उर्दू ,लोकरंग यह 
सबकी बोली बानी है |
गंगा, जमुना, सरस्वती का
संगम हिन्दुस्तानी है |

गुरु गोरख के नाम यहाँ पर 
पुरस्कार अभिनन्दन है ,
शोध प्रकाशन ,मौलिक लेखन 
विद्वानों का वन्दन है ,
सन सत्ताइस में जन्मी 
यह भाषाओँ की रानी है |

आज़ादी को देखा इसने 
देखा पन्त ,निराला को ,
बालकृष्ण ,अकबर ,फ़िराक 
औ बच्चन की मधुशाला को ,
बली ,महादेवी ,सप्रू यह
परिमल की अगवानी है |

उदय प्रताप सिंह  के प्रयास से 
 तेवर इसका बदला है ,
उदयाचल से नया सूर्य फिर 
नये रंग में निकला है 
ज्ञान दीप यह जले हमेशा
यह मिट्टी बलिदानी है ।

तुलसी और कबीर हमारी 
संस्कृतियों के नायक हैं ,
निर्गुण ,सगुण रूप में दोनों 
रामकथा के गायक हैं ,
भोजपुरी ,अवधी ,बुन्देली 
ब्रज की यह दीवानी है 

भरद्वाज ऋषि  ,योगी जी
का इससे पावन नाता है ,
राम वनगमन मार्ग यही जो 
चित्रकूट को जाता है ,
श्रृंगवेरपुर ,कुम्भ कथाएँ 
यहाँ हर्ष सा दानी है |

विविध विधाएं परिचर्चाएं 
ग्रन्थों का उपहार यहाँ ,
ज्ञानी ,गुरुजन ,शोध सहायक 
सबको मिलता प्यार यहाँ 
विद्वानों की पुण्य भूमि यह 
गीतों भरी कहानी है |

कवि -जयकृष्ण राय तुषार 


7 comments:

  1. सुन्दर रचना

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  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (22-06-2020) को 'नागफनी के फूल' (चर्चा अंक 3747)' पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    -रवीन्द्र सिंह यादव

    ReplyDelete
  3. बहुत सुंदर गीत

    ReplyDelete
  4. वाह!हिंद का गुणगान करती बेहतरीन अभिव्यक्ति.
    सादर

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