Wednesday, 17 June 2020

एक गीत -काँटों का मौसम फूलों का खिलना मुश्किल है



चित्र -साभार गूगल 

एक गीत -
काँटों का मौसम फूलों का खिलना मुश्किल है 


रिश्तों में 
दो गज की दूरी
मिलना मुश्किल है |
काँटों का 
मौसम फूलों
का खिलना मुश्किल है |

खत्म हुए 
सम्वाद शहर के 
रिश्ते गाँवों के ,
क़िस्से 
सुनते रहे 
राजपथ दुखते पाँवों के ,
इतना 
सूरज थका 
शाम को ढलना मुश्किल है |

कभी हाथ 
में हाथ तुम्हारा 
लेकर चलते थे ,
कुछ होंठों 
कुछ आँखों से 
सम्वाद निकलते थे ,
भूल गये 
चाँदनी 
रात को मिलना मुश्किल है |

रोशनियों 
की करो प्रतीक्षा 
हार नहीं अच्छी ,
जीवन के 
संघर्षों से 
तकरार नहीं अच्छी ,
बिना आँच 
के हिम रिश्तों 
का गलना मुश्किल है |

कवि -जयकृष्ण राय तुषार 
चित्र -साभार गूगल 


6 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक चर्चा मंच पर चर्चा - 3736
    में दिया गया है। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

    ReplyDelete
  2. सुन्दर काव्य

    ReplyDelete

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