Wednesday, 17 June 2020

एक देशगान -अब पार्थ जयद्रथ को रण में छलना होगा



एक देशगान -
अब पार्थ जयद्रथ को रण में छलना होगा 


अब समय 
पूर्व इस 
सूरज को ढलना होगा |
हे पार्थ 
जयद्रथ को 
रण में छलना होगा |

कब थकी 
युद्ध की नीति 
हिमालय बदलेगा ,
अब हिन्द 
महासागर 
का पानी उबलेगा ,
दुश्मन के 
सीने पर 
चढ़कर चलना होगा |

उठ काली 
बन विकराल 
उठो ब्रह्मोस ,सुदर्शन ,
फिर प्रलय 
करो हे महाकाल 
कर तांडव नर्तन ,
अब एक एक 
हिमखंड 
तुम्हें गलना होगा |

अब वीर
जवानों
रणभेरी तैयार करो ,
बन शुंग 
शिवाजी ,राणा 
अरि पर वार करो 
दुनिया को 
भारत के 
पीछे चलना होगा |

कवि -जयकृष्ण राय तुषार 

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