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चित्र -साभार गूगल |
एक गीत -मौसम में खुशबू है इतर और पान की
हाथों में
मेहँदी है
साड़ी शिफ़ान की |
मौसम में
खुशबू है
इतर और पान की |
रस्ते में
फिसलन है
दिन है आषाढ़ का ,
नदियों का
मंसूबा है
शायद बाढ़ का ,
खेत में
कछारों में
हरियाली धान की |
घोंसले
बया के हैं
पेड़ हैं बबूलों के,
तन-मन
सब भींग रहे
वन,उपवन,फूलों के,
बया के हैं
पेड़ हैं बबूलों के,
तन-मन
सब भींग रहे
वन,उपवन,फूलों के,
नाचते
मयूरों से
शोभा सिवान की |
मयूरों से
शोभा सिवान की |
हरे पेड़
उलझे हैं
बिजली के तारों से ,
खिड़की के
पाट खुले
पुरवा बौछारों से ,
सोने की
बाली फिर
गुम दायें कान की |
बाली फिर
गुम दायें कान की |
गुड़हल के
लाल ,पीत-
फूल हैं कनेरों के ,
मेघों के
घेरे में
सूर्य हैं सवेरों के ,
रह -रह के
बजती है
पायल सीवान की |
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
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चित्र -साभार गूगल |