Wednesday, 25 March 2020

एक आस्था का गीत - यह काशी अविनाशी साधो !

काशी विश्वनाथ ,वाराणसी 
जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य जी
महाराज श्रीमठ ,काशी 


एक आस्था का गीत -यह काशी अविनाशी साधो !

यह काशी 
अविनाशी  साधो !
इसके रंग  निराले हैं |

गोद लिए है 
गंगा इसको 
घर -घर यहाँ शिवाले हैं |

शंकर के 
डमरू ,त्रिशूल पर 
टिकी हुई यह काशी है ,
इसकी सांसों 
में चन्दन है 
मौसम बारहमासी है ।

कापालिक
सी रातें इसकी
वैदिक मन्त्र उजाले हैं ।

जाति -धर्म 
का भेद न जानै 
सबको गले लगाती  है ,
शंकर को 
अद्वैतवाद का 
अर्थ यही समझाती है ,

मणिकर्णिका 
मोक्षद्वार है 
लेकिन अनगिन ताले हैं |

रामनरेशाचार्य
जगद्गुगुरु
न्याय शास्त्र के ज्ञाता हैं,
श्रीमठ मठ के
संत शिरोमणि
रामकथा उदगाता हैं,

रामानन्द की
परम्परा के
पोषक हैं रखवाले हैं।


काशिराज ! को 
नमन मालवीय 
की शिक्षा का धाम यहाँ ,
रामानन्द 
तुलसी ,कबीर संग 
साधक कीनाराम यहाँ ,

यहाँ कठौती 
में हँसकर 
गंगा को लाने वाले हैं |


बिस्मिल्ला खां
की शहनाई 
तबला इसकी जान है,
खायके पान 
बनारस वाला 
यहीं कहीं "अनजान" है ,

गिरिजा देवी 
की ठुमरी के 
सारे रंग निराले हैं |

संकट मोचन 
भैरव की छवि 
सिद्ध -असिद्ध को प्यारी है ,
पाँच  कोस में 
बसी हुई 
यह काशी सबसे न्यारी है ,

नागा ,दंडी ,
बौद्ध ,अघोरी 
इसे पूजने वाले हैं |

गाँजा पीते 
चिलम फूँकते 
अस्सी निर्गुण गाता है,
चित्रकार 
तूलिका रंग ले 
अनगिन चित्र बनाता है,

ज्ञान ,धर्म 
दर्शन के संग -संग 
यहाँ अखाड़े वाले हैं |


करपात्री ,तैलंग 
विशुद्धानन्द 
यहीं के वासी हैं 
इसमें 
वरुणा बहती 
गंगा घाट यहाँ चौरासी हैं ,

हर हर महादेव 
जब गूँजे 
समझो काशी वाले हैं |

कवि -जयकृष्ण राय तुषार


आदि शंकराचार्य 
काशी -वाराणसी 


15 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26.3.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3652 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी

    धन्यवाद

    दिलबागसिंह विर्क

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    Replies
    1. आपका हार्दिक आभार आदरनीय विर्क जी

      Delete
  2. नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 26 मार्च 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    Replies
    1. भाई रवीन्द्र जी आपका हार्दिक आभार

      Delete
  3. वाह, तुषार जी !
    गोद लिए है
    गंगा इसको
    घर -घर यहाँ शिवाले हैं |
    इससे ज्यादा काशी नगरी की महिमा क्या होगी ? शिव की नगरी की महिमा गाती और गरिमा बढाती बहुत सार्थक रचना ,जो काशी के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व से अवगत कराती है | जो बिस्मिल्ला की सहनाई की काशी भी है तो कबीर म रामानन्द और तुलसी की सृजन स्थली भी है | आभार और नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं |

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    Replies
    1. आदरणीया रेणु जी आपका हृदय से आभार |

      Delete
  4. बहुत सुन्दर

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  5. वाह!काशी नगरी की महिमा का सुंदर चित्र खींचा है आपनें !

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    Replies
    1. आदरणीया शुभा जी आपका हार्दिक आभार

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  6. सुन्दर सृजन।
    माँ जगदम्बा की कृपा आप पर बनी रहे।।
    --
    घर मे ही रहिए, स्वस्थ रहें।
    कोरोना से बचें

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    Replies
    1. आदरणीय शास्त्री जी आपका हार्दिक आभार

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  7. सुंदर पावन सृजन ।

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  8. वाह!!!
    पवित्र काशी नगरी पर बहुत ही सुन्दर रोचक काव्य सृजन
    बहुत लाजवाब।

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    Replies
    1. आपका हार्दिक आभार सुधा जी

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