Friday, 13 March 2020

एक प्रेम गीत -जिसे देखा चाँद था या चाँद का अनुवाद कोई


चित्र -साभार गूगल 



एक प्रेम गीत -जिसे देखा चाँद था या ----

मन्दिरों की 
सीढ़ियों पर 
आ रहा है याद कोई |
जिसे देखा 
चाँद था या 
चाँद का अनुवाद कोई |

आरती के 
दिये  जैसी एक 
जोगन सांध्य बेला ,
खिलखिलाते 
फूल के वन 
और इक भौंरा अकेला ,
मौन सी 
हर बाँसुरी पर 
लिख गया अनुनाद कोई |

दौड़कर ठिठके 
हिरन से दिन 
हुआ मौसम सुहाना ,
नयन 
आखेटक सरीखे 
साधते अपना निशाना ,
बिना स्याही 
कलम ,चिट्ठी 
कर गया सम्वाद कोई |

कवि -जयकृष्ण राय तुषार 

चित्र -साभार गूगल 

12 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 13 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete

  2. बहुत सुंदर ,सादर नमन

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका हार्दिक आभार भाई साहब

      Delete

  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की शनिवार(१४-०३-२०२०) को "परिवर्तन "(चर्चा अंक -३६४०) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

    ReplyDelete
  5. वाह! तुषार जी 👌👌👌 बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना । गीत की लयबद्धता और भावों की तरलता के क्या कहने!!!! 👌👌🙏🙏

    ReplyDelete
  6. यही तो होता है पहली नज़र का प्यार।
    हृदय में बस जाये झट से कोई।
    लाजवाब रचना।
    नई रचना पढ़े- सर्वोपरि?

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका हार्दिक आभार भाई रोहितास जी

      Delete

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

एक ग़ज़ल -नया साल

  चित्र साभार गूगल  एक ग़ज़ल -आगाज़ नए साल का भगवान नया हो  मौसम की कहानी नई उनवान नया हो  आगाज़ नए साल का भगवान नया हो  फूलों पे तितलियाँ हों ब...