Tuesday 28 January 2020

एक गीत-वासंती पाठ पढ़े मौसम


एक गीत-वासंती पाठ पढ़े मौसम

नयनों के
खारे जल से
भींग रहे अँजुरी में फूल ।
वासंती
पाठ पढ़े मौसम
परदेसी राह गया भूल ।

भ्रमरों के
घेरे में धूप
गाँठ बँधी हल्दी से दिन,
खिड़की में
झाँकते पलाश
फूलों की देह चुभे पिन,
माँझी के
साथ खुली नाव
धाराएँ,मौसम प्रतिकूल ।

सपनों में
खोल रहा कौन
चिट्ठी में टँके हुए पाटल,
प्रेममग्न
सुआ हरे पाँखी
छोड़ गए शाखों पे फल,
पियराये
सरसों के खेत
मेड़ों पे
टूटते उसूल ।
(सभी चित्र साभार गूगल)

16 comments:

  1. बेहद सुंदर गीत सर।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका हार्दिक आभार श्वेता जी

      Delete
  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(०१-०२-२०२०) को "शब्द-सृजन"-६ (चर्चा अंक - ३५९८) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    -अनीता सैनी

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका हृदय से आभार अनीता जी

      Delete
  3. बहुत सुंदर

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका हार्दिक आभार भाई साहब

      Delete
  4. अतिसुन्दर मनभावन गीत।

    नई पोस्ट पर आपका स्वागत है- लोकतंत्र 

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार भाई रोहितास जी

      Delete
  5. बहुत ही सुंदर मनभावन गीत ,सादर नमन आपको

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका हार्दिक आभार कामिनी जी

      Delete
  6. बहुत खूबसूरत सृजन ।

    ReplyDelete
  7. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २० मार्च २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    ReplyDelete
  8. बहुत सुंदर। अत्यंत सादगी से मिलन के भावों को खूबसूरत प्राकृतिक बिंबों में बाँधती अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
  9. नयनों के
    खारे जल से
    भींग रहे अँजुरी में फूल ।
    वासंती
    पाठ पढ़े मौसम
    परदेसी राह गया भूल ।
    बहुत ही सरस सरल और मनभावन अभिव्यक्ति अनुराग भरे मन की तुषार जी | भावनाओं में भीगा आपका लेखन कमाल का है | सादर

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी हमारा मार्गदर्शन करेगी। टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

एक ग़ज़ल -ग़ज़ल ऐसी हो

  चित्र साभार गूगल  एक ग़ज़ल - कभी मीरा, कभी तुलसी कभी रसखान लिखता हूँ  ग़ज़ल में, गीत में पुरखों का हिंदुस्तान लिखता हूँ  ग़ज़ल ऐसी हो जिसको खेत ...