चित्र -साभार गूगल |
वैरागी
दिवस बिना
पैलगी-प्रणाम ।
पगडण्डी
ढूँढ रही
बेला की शाम ।
दिवस बिना
पैलगी-प्रणाम ।
पगडण्डी
ढूँढ रही
बेला की शाम ।
स्वप्न हुए
नागर सब
कटे -बँटे रिश्ते ,
घर में
सम्वाद कहाँ
बाहरी फ़रिश्ते ,
चिट्ठियाँ
वो गयीं कहाँ
बैरंग -बेनाम ।
नागर सब
कटे -बँटे रिश्ते ,
घर में
सम्वाद कहाँ
बाहरी फ़रिश्ते ,
चिट्ठियाँ
वो गयीं कहाँ
बैरंग -बेनाम ।
नए -नए
खेल हुए
कहाँ गदा भीम की,
कहाँ कथा -
पीपल की
बात कहाँ नीम की ,
मौसम का
रखरखाव
ए० सी० के नाम।
खेल हुए
कहाँ गदा भीम की,
कहाँ कथा -
पीपल की
बात कहाँ नीम की ,
मौसम का
रखरखाव
ए० सी० के नाम।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (06-05-2019) को "आग बरसती आसमान से" (चर्चा अंक-3327) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'