Sunday, 5 May 2019

एक गीत -वैरागी दिवस



चित्र -साभार गूगल 
एक गीत -वैरागी दिवस 


वैरागी 
दिवस बिना
पैलगी-प्रणाम ।
पगडण्डी
ढूँढ  रही
बेला की शाम ।



स्वप्न हुए
नागर सब
कटे -बँटे रिश्ते ,
घर में
सम्वाद कहाँ
बाहरी फ़रिश्ते ,
चिट्ठियाँ 
वो गयीं कहाँ 
बैरंग -बेनाम ।

नए -नए
खेल हुए
कहाँ गदा भीम की,
कहाँ कथा -
पीपल की 
बात कहाँ नीम की ,
मौसम का 
रखरखाव 
ए० सी० के नाम।

बदल तो
जरूरी है
पर इतना याद रहे,
शहर
बसे बेटों का
माँ से सम्वाद रहे ,
याद रहें
पेड़ों के
स्वाद भरे आम ।
पवित्र पीपल वृक्ष -चित्र -साभार गूगल 

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (06-05-2019) को "आग बरसती आसमान से" (चर्चा अंक-3327) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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